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वास्तु पूजा 2023: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार

  • 17 February 2023

  • by SmartPuja Desk

जीवन मे अपना घर बनाना हर व्यक्ति का सपना होता है और वह जीवन भर अपने सपने को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है | घर केवल रहने का स्थान ही नहीं होता है बल्कि यह वह स्थान होता है जहाँ पर एक दूसरे के बीच सामंजस्य, मांगलिक कार्य एवं संस्कार पलते है | ऐसे वह घर हमारे लिए सभी तरह से अनुकूल रहे इसके लिए गृह प्रवेश से पहले वास्तु पूजा की जाती है | वास्तु पूजा क्या होती है और यह हमारे गृह प्रवेश से पहले क्यों की जाती है यह जानना बेहद जरुरी है | आज के इस लेख में हम वास्तु पूजा सामग्री, और वास्तु पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगें |

वास्तु पूजा @smartpuja.com

वास्तु शांति पूजा क्या है ?

वास्तु शांति पूजा गृह प्रवेश से पहले की जाने वाली एक जरुरी पूजा है | गृह प्रवेश के अलावा यह पूजा तब भी की जाती है जब घर में किसी तरह की स्वास्थ्य, पारिवारिक या आर्थिक समस्याएं आ रही हो | वास्तु पूजा में वास्तु पुरुष नामक देवता , प्रकृति के पांचों तत्वों अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश, दसों दिशाएं और अन्य प्राकृतिक तत्वों की पूजा की जाती है |  

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    जब भी हम नया घर बनाते है तो उस जमीन पर वर्षों तक खाली रहने या अन्य निर्माण रहने के दौरान कई तरह की नकारात्मक शक्तियों का वास होता है | जिसकी वजह से यदि बिना पूजा के वहां रहा जाता है तो परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य खराब रहने, घर में अशांति रहने, आर्थिक परेशानी रहने की समस्या रहती है | 

    वास्तु के अनुसार हमारे घर के 10  दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण, उत्तर पूर्व( ईशान कोण) , उत्तर पश्चिम ( वायव्य कोण ),  दक्षिण- पूर्व ( आग्नेय कोण ), दक्षिण पश्चिम ( नैऋत्य कोण ) , आकाश एवं पाताल |  यदि भवन निर्माण के समय इन सभी दिशाओं को ध्यान में रखकर निर्माण किया जाता है तो यह वास्तु के अनुसार ठीक होता है | लेकिन कई बार निर्माण के समय ध्यान नहीं देने, बिल्डर की कमी, पैसे की कमी या अन्य कारणों से मकान, भवन, फ़्लैट में वास्तु दोष रह जाते है जिसकी वजह से घर में किसी तरह की परेशानी ना आये इसलिए वास्तु शन्ति पूजा की जाती है |

    वास्तु शांति पूजा कब की जाती है ?

    जब भी नए घर या किराये के घर में रहने के लिए जाते है तो शास्त्रों के अनुसार घर में प्रवेश के लिए गृह प्रवेश पूजा और वास्तु पूजा का विधान बताया गया है | इसके लिए यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से घर में रह रहा है तो और उसे किसी तरह की समस्या सामने आ रही है तो उन्हें वास्तु शांति पूजा का उपाय बताया जाता है | वास्तु  शांति पूजा के लिए आप किसी विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा सकते है | 

    2023 में वास्तु शांति पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 

    महीने शुभ दिनांक मुहूर्तशुभ तिथि
    फरवरी फरवरी 1, 2023, बुधवार 
    फरवरी 8, 2023, बुधवार 
    फरवरी 11, 2023, शनिवार
    फरवरी 10, 2023, शुक्रवार 
    फरवरी 22, 2023, बुधवार
    फरवरी 23, 2023, बृहस्पतिवार
    मुहूर्त: 07:10 AM से 02:01 PM
    मुहूर्त: 08:15 PM से 06:23 AM, फरवरी 09
    मुहूर्त: 07:03 AM से 09:08 AM
    मुहूर्त: 12:18 AM से 07:03 AM, फरवरी 11
    मुहूर्त: 06:54 AM से 03:24 AM , फरवरी 23
    मुहूर्त: 01:33 AM से 03:44 AM, फरवरी 24
    एकादशी
    तृतीया
    पञ्चमी
    पञ्चमी
    तृतीया
    पञ्चमी
    मार्च मार्च 1, 2023, बुधवार
    मार्च 8, 2023, बुधवार
    मार्च 9, 2023, बृहस्पतिवार
    मार्च 10, 2023, शुक्रवार
    मार्च 13, 2023, सोमवार
    मार्च 16, 2023, बृहस्पतिवार
    मार्च 17, 2023, शुक्रवार
    मुहूर्त: 06:47 AM से 09:52 AM
    मुहूर्त: 06:39 AM से 04:20 AM, मार्च 09
    मुहूर्त: 05:57 AM से 06:37 AM, मार्च 10
    मुहूर्त: 06:37 AM से 09:42 PM
    मुहूर्त: 09:27 PM से 06:33 AM, मार्च 14
    मुहूर्त: 04:47 AM से 06:29 AM, मार्च 17
    मुहूर्त: 06:29 AM से 02:46 AM, मार्च 18
    दशमी
    प्रतिपदा, द्वितीया
    तृतीया
    तृतीया
    सप्तमी
    दशमी
    दशमी, एकादशी
    अप्रैल कोई शुभ मुहूर्त नहीं है | ––
    मई मई 6, 2023, शनिवार
    मई 15, 2023, सोमवार
    मई 20, 2023, शनिवार
    मई 22, 2023, सोमवार
    मई 29, 2023, सोमवार
    मई 31, 2023, बुधवार
    मुहूर्त: 09:13 PM से 05:36 AM, मई 07
    मुहूर्त: 09:08 AM से 01:03 AM, मई 16
    मुहूर्त: 09:30 PM से 05:27 AM, मई 21
    मुहूर्त: 05:27 AM से 10:37 AM
    मुहूर्त: 11:49 AM से 04:29 AM, मई 30
    मुहूर्त: 06:00 AM से 01:45 PM
    द्वितीया
    एकादशी
    द्वितीया
    तृतीया
    दशमी
    एकादशी
    जून जून 12, 2023, सोमवारमुहूर्त: 10:34 AM से 05:23AM, जून 13दशमी
    जुलाई कोई शुभ मुहूर्त नहीं है | ––
    अगस्त कोई शुभ मुहूर्त नहीं है | ––
    सितम्बर कोई शुभ मुहूर्त नहीं है | ––
    अक्टूबर कोई शुभ मुहूर्त नहीं है | ––
    नवम्बर नवम्बर 17, 2023, शुक्रवार
    नवम्बर 22, 2023, बुधवार
    नवम्बर 23, 2023, बृहस्पतिवार
    नवम्बर 27, 2023, सोमवार
    नवम्बर 29, 2023, बुधवार
    मुहूर्त: 01:17 AM से 06:46 AM, नवम्बर 18
    मुहूर्त: 06:37 PM से 06:50 AM , नवम्बर 23
    मुहूर्त: 06:50 AM से 09:01 PM
    मुहूर्त: 02:45 PM से 06:54 AM , नवम्बर 28
    मुहूर्त: 06:54 AM से 01:59 PM
    पञ्चमी
    दशमी, एकादशी
    एकादशी
    प्रतिपदा
    द्वितीया
    दिसम्बर दिसम्बर 6, 2023, बुधवार
    दिसम्बर 8, 2023, शुक्रवार
    दिसम्बर 15, 2023, शुक्रवार
    दिसम्बर 21, 2023, बृहस्पतिवार
    मुहूर्त: 03:04 AM से 06:29 AM, दिसम्बर 07
    मुहूर्त: 08:54 AM से 06:31 AM, दिसम्बर 09
    मुहूर्त: 08:10 AM से 10:30 PM
    मुहूर्त: 09:37 AM से 10:09 PM
    दशमी
    एकादशी
    तृतीया
    दशमी

    वास्तु शांति पूजा की सामग्री 

    वास्तु शांति के लिए कुछ खास सामग्री की जरुरत होती है ऐसे में आपको पूजन से पहले ही यह सामग्री खरीदकर पूजा स्थान के पास रख लेनी चाहिए | पूजा में आपको कौन कौन से सामग्री की जरुरत होती है आइये जानते है –

    लक्ष्मी, गणेश जी की मूर्ति, हनुमान जी, दुर्गा माता, भगवान शंकर की फोटो बर्तन ( थाली, लौटे, गिलास, चम्मच, परात ) चौकी
    कलश नारियलदेशी घी 
    चावलरोलीलाल सिंदूर 
    हल्दीहल्दी साबुत सुपारी
    लौंगइलाइचीजनेऊ
    इत्रसूखा नारियल जटा वाला नारियल 
    हवन सामग्री नवग्रह संविधा हवन के लिए  पीपल की लकड़ी एवं गाय के गोबर के छाने 
    शहद कमलगता पंचमेवा
    हवन कुंड मिट्टी का कलश मिटटी का दीपक 
    सफ़ेद, लाल, हरा, पीला, काला  कपडा बंदनवार के लिए अशोक के पत्ते पूजन के लिए पान के पत्ते 

    वास्तु शांति पूजा की तैयारी कैसे करें ?

    • जिस जगह वास्तु पूजा करवानी है उस स्थान को अच्छे से साफ़ कर लें | 
    • उस स्थान पर गंगाजल छिड़क कर वहां पर मंडल बनाएं | 
    • घर के दरवाजों पर अशोक के पत्ते की बँदनवार लगाएं | 
    • पूजन की सामग्री को पूजन के स्थान पर रख लें | 
    • मुख्य दरवाजे पर शुभ लाभ और स्वस्तिक बनाएं | 
    • पूजा से पहले घर के सभी सदस्य स्नान करके साफ़ और भारतीय परम्परागत वस्त्र पहनें |

    वास्तु शांति पूजा विधि

    प्रथम दिन की पूजा 

    • सबसे पहले यजमान स्नान करके सफ़ेद रंग के वस्त्र पहनकर तिलक आदि लगाएं और पंचगव्य का प्रश्न करें | 
    • पत्नी को अपने बायीं ओर बिताकर सो बार आचमन करें और शांतीपाठ से पूजाकर्म का आरम्भ करें  
    • अब अपनी धर्मपत्नी का हाथ अपने हाथ में लेकर फूल, ताम्बूल को लेकर सभी देवताओं का ध्यान करें | 
    • अब हाथ में जल लेकर संकल्प करें | 
    • अब सबसे पहले गणेश जी का एवं गुरु पूजन करें | 
    • अब कलश पूजन कर कलश की स्थापना करें | 
    • कलश जल को अभिमंत्रित करके वरुणदेवता का आह्वान करें | 

    दूसरे दिन की पूजा 

    • सबसे पहले जनेऊ धारण करके संकल्प करें | 
    • अब गणेशाम्बिका पूजन करके कलश को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें | 
    • वस्त्र, जनेऊ, फूल, चन्दन, धुप, दीप, नैवेध्य, पुंगीफल, ताम्बूल और दक्षिणा रख कर आचमन करें और प्राणायाम संकल्प करें | 
    • हाथ में गंध,अक्षत, पुष्प, ताम्बूल और वस्त्र लेकर पूजा के आचार्य को निवेदन करें  | 
    • अब पुनः हाथ में गंध, पुष्प, अक्षत, ताम्बूल और वस्त्र लेकर ब्रह्मा जी को निवेदन करें और उनकी पूजा करें | 
    • अब पंचगव्य मिश्रण कर गायत्री मन्त्र से गौमूत्र में, गन्धद्वारा मन्त्र से गोबर में, आप्यायस्व मन्त्र से दूध में, दधिक्राव्णा मन्त्र से दही में, तेजोसी शुक्र मन्त्र से घी में और देवस्य त्वा इत्यादि मन्त्र से जल में उन मंत्रों के विनियोग के द्वारा देवता का आह्वान करें | 
    • अब पंचगव्य से यजमान और घर पर छींटे दें | 
    • अब भूमि पूजन के लिए जमीं चन्दन, अक्षत और फूल रखें | 
    • अब दाएं हाथ में जल लेकर बाए हाथ से उसे ढंके –
      ‘ ॐ धनुर्धराय विधमहे सर्वसिद्ध्यै च धीमहि | तन्नो धराः प्रचोदयात” इस मन्त्र को 12 बार बोलकर जल को अभिमंत्रित करे और जल को धरती पर छोड़ें | 
    •  अब ‘ ॐ भूम्यै नमः ‘ के साथ गंधक, पुष्प और चावल अर्पित करें | 
    • अब 10 किलों को ‘ॐ सुदर्शनायास्त्राय फट’  मन्त्र का 108 जाप करते हुए अभिमंत्रित करके उन्हें घर के चारों ओर बांध देवें | 

    तीसरे दिन की पूजा 

    • घर के अग्नि कोण ( यथा संभव ) में हवन कुंड का निर्माण करें और यजमान आचमन करके अपने देश काल को बोलकर संकल्प करें | 
    • कलश स्थापना करे | 
    • ताम्बे के कलश को स्थापित करे | 
    • कलश को जल से भरकर उसमे गन्ध समर्पित करे | उसमे सर्वौषधि डालें, इसके बाद आम के पांच पत्तों को उसमें रखे | इसके उपरांत उसमें दोब,| सप्तमृत्तिका, सुपारी और पांच रत्नों को उसमे डालें | इसके उपरांत  उसमें दक्षिणा ही डालें | 
    • पत्तों को चारों और फैलाकर उसके ढकने के लिए पात्र रखें | 
    • अब इस कलश को स्थापित कर देवें | 
    • वरुणदेवता का आह्वान करें | 
    • कलश को हाथ से ढककर निम्न मन्त्र का जाप करें –
      कलशस्य  मुखे विष्णुः कंठेरूद्र समाश्रिताः|
      मुले तत्र स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणा स्मृतः||
      कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्तद्वीपवासुन्धरा |
      ऋग्वेदोsथ  यजुर्वेद सामवेदो ह्यथवर्णः |
      अंगैश्च सहिताः सर्वे कलशाम्बु समाश्रिताः|
      आयान्तु देव पूजार्थं दुरितक्षयकारकाः ||
      सर्वे समुद्राः सरितः तीर्थानि जलदानदाः |
      सर्वेSत्र प्रतितिष्ठन्तु मम कल्याणकारकाः || 
    •  अब षोडशोपचारों पूजन कर अग्नि की स्थापना करें | 
    • वास्तुमंडल बनाकर उसके ईशान भाग या मध्य में 2 कलश स्थापित करें | 
    • अब पूजामण्डल का ध्यान करके वास्तुमंडल के ईशान कोण में जिस तरह परिक्रमा दी जाती है उस प्रकार लोहे की  4 कील गाड़े | 
    • अब फूलों के द्वारा पूर्व से पश्चिम की ओर बनाई गयी रेखाओं का पूजन करें | 
    • फूलों से उनकी प्राण प्रतिस्ठा  करे | 
    • इसके बाद द्वारपालों की पूजा करें | 
    • पीठपूजा करें | 
    • इसके उपरांत नवशक्तियो  करें | 
    • इसके बाद वास्तुदेवता का ध्यान करते हुए वास्तुपुरुष को फूल और अक्षत अर्पित करें | 
    • वास्तुमंडल पर पुष्प अर्पित करे | 
    • वास्तुमंडल के बीच में 2 सुपारी रखकर वास्तु देवता और ब्रह्मा जी का आह्वान करें | 
    • अब प्रत्येक देवता का आह्वान करते हुए मंडल के प्रकोष्ठ में एक एक सुपारी रखें | 
    • अब चारों कोनों एवं आठों दिशाओं के दिक्पालों का आह्वान करें | 
    • सभी देवताओं का सोडषोपचार पूजन करे और सब को समर्पित करें | 
    • प्रधानवास्तुपुरुष देवता की प्राण प्रतिस्ठा करके उनका पूजन करें |

    वास्तु शांति पूजा के लाभ 

    • गृह निर्माण के समय रहे वास्तु दोषों को दूर किया जाता है | 
    • घर में नेगेटिव एनर्जी दुरी होती है और पोजेटिव एनर्जी का संचार होता है | 
    • घर के सदस्यों में पारस्परिक सोहाद्र रहता है | 
    • घर का वातावरण शांत रहता है और यह सुख प्रदान करता है | 
    • घर की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है | 
    • बच्चों का मन पढाई में लगता है और उनकी बुद्धि अच्छे कार्यो में  लगती है | 
    •  घर में शुद्धता रहती है और हंसी ख़ुशी का माहौल रहता है |

    वास्तु शांति पूजा की बुकिंग कैसे करें –

    वास्तु शांति की पूजा के लिए कई तरह की पूजा की जाती है जिसका प्रभाव तब तक रहता है जब तक आप उस घर में रहते है | इसलिए वास्तु पूजा को किसी अनुभवी पंडित से करवाना चाहिए | सही तरह से वास्तु शांति पूजा करने से घर के सभी वास्तु दोषों का निवारण होता है | वास्तु पूजा, गृहप्रवेश पूजा के साथ की जाती है | यदि आप वास्तु शांति पूजा का विचार कर रहे है और आप सोच रहे है की पंडित की व्यवस्था कैसे होगी, पूजन सामग्री कहाँ से आएगी और शुभ मुहूर्त कैसे निकलेगा तो अब आप अपनी सारी चिंता से मुक्ति पा सकते है केवल एक फ़ोन कॉल से | 

    स्मार्टपूजा एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ एक ही जगह पर आप पूजन के लिए पंडित, पूजन सामग्री एवं अन्य व्यवस्था पा सकते है वो भी बहुत ही सामान्य शुल्क पर | 
    वास्तु शांतिपूजा से जुडी सेवाओं की अधिक जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।

    वास्तु पूजा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

    1. वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर कहाँ होना चाहिए ?

    यदि आप चाहते है की आपके घर में आध्यात्मिक शांति हो और घर में पारिवारिक सदस्यों के बीच अच्छा तालमेल हो और बच्चों में संस्कार हो तो इसके लिए वास्तु शास्त्र में बताया गया है की पूजा घर को सही दिशा में होना चाहिए | वास्तु शास्त्र के अनुसार बताया गया है की पूजा घर उत्तर पूर्व दिशा यानि की ईशान कोण में होने चाहिए |

    2. वास्तु पूजा कैसे होती है ?

    वास्तु पूजा नवगृह प्रवेश पूजा के साथ की जाती है | वास्तु पूजा में कलश पूजन, वास्तु पुरुष पूजा, दसों दिशाओं का पूजन किया जाता है और वास्तु देवता की प्राणप्रतिष्ठा करने के बाद उनका पूजन किया जाता है |

    3. वास्तु पूजा में कितना समय लगता है ?

    वास्तु पूजा गृह प्रवेश पूजा के साथ की जाती है गृह  प्रवेश पूजा के दूसरे दिन 2 से 3 घंटे का समय वास्तु पूजा में लगता है |

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