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गण्डमूल नक्षत्र शांति पूजा 2023

  • 21 February 2023

  • by SmartPuja Desk

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मूल नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों को इन नक्षत्रों की स्थिति के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने के लिए गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा की जाती है | यह पूजा बहुत ही जरुरी पूजा होती है और इसके कारण बच्चों के ऊपर से मूल दोषों का निवारण होता है | इन नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों के साथ ही इन नक्षत्रों का प्रभाव उनके माता पिता पर भी पड़ता है इसलिए यह पूजा बच्चे के पैदा होने के कुछ समय बाद ही की जाती है | गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा में गण्ड नक्षत्र के स्वामी बुद्ध और मूल नक्षत्र के स्वामी केतु की शांति के लिए पूजा की जाती है | 

स्मार्टपूजा एक धार्मिक स्टार्टअप है जिसमें हम गंडमूल शांति पूजा के लिए आपको एक बेहतरीन पूजा पैकेज प्रदान करते है | इस पूजा पैकेज में हम आपको शुभ मुहूर्त, पंडित की व्यवस्था और पूजन सामग्री की व्यवस्था करते है | हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए गए पंडित पुरे विधि विधान से आपके पूजा और अनुष्ठान को पूरा करवाते है जिससे आपके बच्चे के ऊपर से  मूल दोषों का विधिवत निवारण होता है |    

Table of Contents

    • Contact form
  • मूल नक्षत्र कौन से होते है ?
  • मूल नक्षत्र शांति पूजा क्या है ? 
  • मूल दोष शांति पूजा सामग्री  
  • मूल दोष शांति पूजा विधि  
  • मूल दोष शांति पूजा शुभ मुहूर्त 
  • मुल दोष शांति पूजा के लाभ 
  • मूल दोष शांति पूजा बुकिंग कैसे करें ? 

Contact form

मूल नक्षत्र कौन से होते है ?

हिन्दू ज्योतिष के अनुसार 12 राशि और 27 नक्षत्र माने जाते है | जब चन्द्रमा की गति के अनुसार नक्षत्रों की गणना की जाती है | 27 नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्र शुभ होते  है कुछ नक्षत्र मध्यम और कुछ नक्षत्र अशुभ होते है | हमारा जो राशि चक्र होता है उसमें 3 बार ऐसी स्थितियां पैदा होती है जब कोई राशि और नक्षत्र एक साथ समाप्त होते है और दूसरी राशि और नक्षत्र में प्रवेश करते है | जब यह राशि और नक्षत्र एक साथ समाप्त होते है तो उस नक्षत्र को गंड नक्षत्र और जिन नक्षत्र में प्रवेश करते है उसे मूल नक्षत्र कहा जाता है | इस तरह अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती गंड नक्षत्र कहे जाते है और गण्ड क्षेत्र का स्वामी बुद्ध ग्रह होता है | और तीन मूल नक्षत्र मघा, मूल और अश्विनी होते है | मूल नक्षत्र का स्वामी केतु होता है | 

मूल नक्षत्र शांति पूजा क्या है ? 

जो शिशु मूल नक्षत्र में पैदा होते है उसका प्रभाव पुरे परिवार एवं आर्थिक स्थिति पर होता है इसलिए शिशु के जन्म के  27 दिन बाद गण्डमूल नक्षत्र की शांति पूजा की जाती है | गंडमूल पूजा को सताइसा की पूजा भी कहा जाता है | इसमें जिस नक्षत्र में बालक का जन्म हुआ है उस नक्षत्र के अनुसार मूल शांति पाठ करवाए जाते है, ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है और उन्हें दक्षिणा दी जाती है | 

मूल दोष शांति पूजा सामग्री  

हवन की लकड़ी – 2 किलो नवग्रह संविधा -1 नग उड़द की दाल
भोजपत्र  कमलगट्टा जटामासी 
शतावरपिसी हल्दी दाख
दूध -250 ग्राम 7 जगह की मिट्टी 27 कुओं का पानी 
27 पेड़ों के पत्ते 7 प्रकार का अन्न एक कच्चा घड़ा जिसमें 101 छेद हो 
पंचगव्यपीसी हल्दी तिल का तेल 
जौदूधदही
घीशहदशक्कर
गुडगंगाजलजनेऊ
चन्दनगुलालपंचमेवा
पान1 मूल की मूर्ति 

मूल दोष शांति पूजा विधि  

  • सबसे पहले पूजन स्थल को साफ़ करके वहां एक चौकी बिछा लें | 
  • चौकी के बगल में एक कलश स्थापित करें | 
  • अब चौकी पर नवग्रह बनाये और मूल नक्षत्र की सोने की मूर्ति रखें | यदि मूल नक्षत्र की मूर्ति नहीं है तो गोपाल जी की मूर्ति रखें | 
  • अब 101 छिद्रों वाले कलश में सात तरह के अन्न, सातों जगह की मिट्टी, 27 जगह का जल, 27 वृक्ष की पत्तियां, पंचगव्य डालें | 
  • अब बच्चे को गोद में लेकर माता एवं पिता उत्तर या पूर्व की ओर मुँह करके बैठ जाएं | 
  • अब छिद्र वाले घड़े से शिशु एवं माता, पिता को स्नान करवाएं | 
  • नक्षत्र अनुसार पूजन मंत्रो का पाठ करें | 

मूल दोष शांति पूजा शुभ मुहूर्त 

गण्डमूल नक्षत्र शांति शुभ मुहूर्त शुरुआत समय पूर्ण समय 
जनवरी 20239 जनवरी सोमवार 06:05 AM से 11 जनवरी बुधवार 11:50 AM तक  
18 जनवरी बुधवार 05:23 PM से 20 जनवरी शुक्रवार 12:40 PM तक 
26 जनवरी गुरूवार 06:57 PM से 28 जनवरी शनिवार 07:06 PM तक 
फ़रवरी 20235 फ़रवरी रविवार 12:13 PM से 7 फ़रवरी मंगलवार 05:45 PM तक  
15 फ़रवरी बुधवार 02:02 AM से 16 फ़रवरी गुरूवार 10:53 PM तक  
23 फ़रवरी गुरूवार 04:50 AM से 25 फ़रवरी शनिवार 03:27 AM तक  
मार्च 20234 मार्च शनिवार 06:41 PM से 7 मार्च मंगलवार 12:05 AM तक  
14 मार्च मंगलवार 08:13 AM से 16 मार्च गुरूवार 06:24 AM तक  
22 मार्च बुधवार 03:32 PM से 24 मार्च शुक्रवार 01:22 PM तक  
अप्रैल 20231 अप्रैल शनिवार 01:57 AM से 3 अप्रैल सोमवार 07:24 AM तक  
10 अप्रैल सोमवार 01:39 PM से 12 अप्रैल बुधवार 11:59 AM तक  
19 अप्रैल बुधवार 01:01 AM से 20 अप्रैल गुरूवार 11:11 PM तक  
28 अप्रैल शुक्रवार 09:53 AM से 30 अप्रैल रविवार 03:30 PM तक  
मई 20237 मई रविवार 08:21 PM से 9 मई मंगलवार 05:45 PM तक  
16 मई मंगलवार 08:15 AM से 18 मई गुरूवार 07:22 AM तक  
25 मई गुरूवार 05:54 PM से 27 मई शनिवार 11:43 PM तक  
जून 20234 जून रविवार 05:03 AM से 6 जून मंगलवार 01:23 AM तक  
12 जून सोमवार 01:49 PM से 14 जून बुधवार 01:40 PM तक  
22 जून गुरूवार 01:21 AM से 24 जून शनिवार 07:19 AM तक  
जुलाई
2023
1 जुलाई शनिवार 03:04 PM से 3 जुलाई सोमवार 11:02 AM तक  
9 जुलाई रविवार 07:29 PM से 11 जुलाई मंगलवार 07:04 PM तक  
19 जुलाई बुधवार 07:58 AM से 21 जुलाई शुक्रवार 01:58 PM तक  
29 जुलाई शनिवार 12:55 AM से 30 जुलाई रविवार 09:32 PM तक  
अगस्त 20236 अगस्त रविवार 02:54 AM से 8 अगस्त मंगलवार 01:16 AM तक  
15 अगस्त मंगलवार 01:59 PM से 17 अगस्त गुरूवार 07:58 PM तक  
25 अगस्त शुक्रवार 09:14 AM से 27 अगस्त रविवार 07:16 AM तक  
सितंबर 20232 सितंबर शनिवार 12:30 PM से 4 सितंबर सोमवार 09:26 AM तक  
11 सितंबर सोमवार 08:01 PM से 14 सितंबर गुरूवार 02:01 AM तक  
21 सितंबर गुरूवार 03:35 PM से 23 सितंबर शनिवार 02:56 PM तक  
29 सितंबर शुक्रवार 11:18 PM से 1 अक्टूबर रविवार 07:27 PM तक  
सितंबर 202329 सितंबर शुक्रवार 11:18 PM से 1 अक्टूबर रविवार 07:27 PM तक  
9 अक्टूबर सोमवार 02:45 AM से 11 अक्टूबर बुधवार 08:45 AM तक  
18 अक्टूबर बुधवार 09:01 PM से 20 अक्टूबर शुक्रवार 08:41 PM तक  
27 अक्टूबर शुक्रवार 09:25 AM से 29 अक्टूबर रविवार 05:54 AM तक  
नवंबर 20235 नवंबर रविवार 10:29 AM से 7 नवंबर मंगलवार 04:24 PM तक  
15 नवंबर बुधवार 03:24 AM से 17 नवंबर शुक्रवार 02:17 AM तक  
23 नवंबर गुरूवार 05:16 PM से 25 नवंबर शनिवार 02:56 PM तक  
दिसंबर 20232 दिसंबर शनिवार 06:54 PM से 5 दिसंबर मंगलवार 12:35 AM तक  
12 दिसंबर मंगलवार 11:57 AM से 14 दिसंबर गुरूवार 09:47 AM तक  
20 दिसंबर बुधवार 10:58 PM से 22 दिसंबर शुक्रवार 09:36 PM तक  
30 दिसंबर शनिवार 03:10 AM से 1 जनवरी सोमवार 08:36 AM तक  

मुल दोष शांति पूजा के लाभ 

  • शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव समाप्त होता है और स्वास्थ्य सदैव अच्छा बना रहता है | 
  • मूल शांति पूजा से शिशु के मातापिता के ऊपर लगने वाले दुष्प्रभाव दूर होते है | 
  • इस पूजा से घर में होने वाले आर्थिक नुकसान से रक्षा होती है | 
  • शिशु उसके भाई बहनो और माता पिता के साथ सैदव अच्छा तालमेल और प्रेम रहता है | 
  • परिवार पर से अशुभ नक्षत्र की छाया दूर होती है और सुख शांति बनी रहती है | 

मूल दोष शांति पूजा बुकिंग कैसे करें ? 

मूल दोष शांति पूजा एक विस्तृत पूजा होती है जिसमें पंडित जी विधिवत मन्त्रों और अनुष्ठान के द्वारा गंडमूल नक्षत्रों के दुष्प्रभावों को शांत करते है | साथ ही इसमें लगने वाली पूजन सामग्री भी विशेष होती है | इसलिए हो सकता है की आपको यह लग रहा हो की आप यह सभी व्यवस्था कैसे कर पाएंगें | लेकिन अब पूजा से सबंधित किसी भी कार्य करने के लिए चिंता करने की जरुरत नहीं है | स्मार्टपूजा के साथ आप अपनी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त जानने, पूजन सामग्री, सजावट और पंडित जी की व्यवस्था एक ही स्थान पर पा सकते है | 

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स्मार्टपूजा में हमारे पास अनुभवी पंडितो की एक बड़ी टीम है | यह सभी पंडित अनुभवी है और इनके द्वारा आपकी पूजा विधिवत पूर्ण हो पाएगी और आपका मनोरथ पूर्ण हो पाएगा | 

मूल दोष शांति पूजा से सबंधित अधिक जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।

ऑफिस पूजा 2023: समृद्धि एवं सफलता के लिए शुभारंभ
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