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नवरात्री पूजा 2023: सम्पूर्ण देवी शक्ति का आदर्श उत्सव

  • 17 February 2023

  • by SmartPuja Desk
नवरात्री पूजा

माता के भक्तों के लिए नवरात्री का समय भक्ति, उमंग, उत्साह का होता है जिसमें 9 दिनों तक माता की पूजा करके माता के श्री चरणों में अपनी आस्था प्रकट की जाती है | नवरात्री का हिंदी में अर्थ होता है नौ रातें | इन नौ रातों को माता भगवती के 9 रूपों की 9 दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है और जीवन की मंगल कामना की जाती है | यह नवरात्री पूजा के 9 दिन बेहद खास होते है इसलिए जो भक्त विधि विधान से माँ की आराधना करता है माँ उसके सभी दुखों को हर लेती है | भारतीय कैलेण्डर के अनुसार नवरात्री वर्ष में 4 महीने चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने में आती है | इन 4 नवरात्री पूजा में से चैत्र और आश्विन नवरात्री पूजा मुख्य रूप से की जाती है | 

Table of Contents

  • आश्विन नवरात्री कब से चालू है 
  • नवरात्री पूजा के लिए सामग्री 
  • शारदीय नवरात्री व घटस्थापना मुहूर्त
  • नवरात्री पर घटस्थापना और माता की स्थापना विधि 
  • नवरात्री की पूजन विधि 
  • नवरात्री के पहले दिन की पूजा 
  • नवरात्री के दूसरे दिन की पूजा 
  • नवरात्री के तीसरे दिन की पूजा 
  • चौथे दिन की पूजा 
  • पांचवे दिन की पूजा 
  • छठे दिन की पूजा 
  • सातवें दिन की पूजा 
  • आठवें दिन की पूजा 
  • नवें दिन की पूजा 
  • नवरात्री पूजा की आरती 
  •  नवरात्री पूजा और व्रत का महत्व 
  • नवरात्री पूजा की व्रत कथा 
  • नवरात्री पूजा की बुकिंग कैसे करें 

आश्विन नवरात्री कब से चालू है 

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    आश्विन नवरात्री  जिसे की शारदीय भी कहा जाता है भारतीय कलेंडर के आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर आश्विन शुक्ल नवमी तक पूजा की जाती है | इस बार आश्विन नवरात्री 15 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक है | 

    नवरात्री पूजा के लिए सामग्री 

    माँ दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमा या फोटो 

    एक कलश 

    एक मिट्टी का बर्तन ज्वार बोने के लिए 

    माता के आसन के लिए चौकी, दूध, दही, घी, शहद, जल, गंगाजल, पंचामृत, उपवस्त्र, नारियल, फूल, फूलमाला, वस्त्र, चन्दन, रोली, कलावा, अक्षत, जयमाला, धुप, दीप, नेवैध्य, ऋतुफल, पान, सुपारी, पूजन पात्र  आरती, कलश, इलाइची, 

    नवरात्री व घटस्थापना मुहूर्त

    शारदीय नवरात्री व घटस्थापना मुहूर्त

    इस बार शारदीय नवरात्री के दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त दिनाँक 14 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 24 मिनिट से अक्टूबर 16 दोपहर 12 बजकर 32 मिनिट तक रहेगा |

    नवरात्री पर घटस्थापना और माता की स्थापना विधि 

    • सबसे पहले व्यक्ति सुबह उठकर नहा लें और साफ़ कपडे पहन लें | 
    • जिस स्थान पर पूजा करनी हो उस स्थान को अच्छे पानी से धोकर साफ़ कर लें | 
    • अब चौकी पर गंगाजल छिड़ककर एक साफ़ धुला हुआ कपडा बिछाकर उस पर मंडल बनाएं | 
    • चौकी पर माता की मूर्ति या मात्रा की फोटो की स्थापना करें | 
    • अब चौकी के बगल में मिटटी के बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें ज्वार बो दें | 
    • चौकी के बगल में ही एक मिट्टी, सोने, चांदी या ताम्बे  का कलश रख कर उस पर एक नारियल रख दें | नारियल को कलश पर रखने से पहले उसके चारों ओर मोली का धागा बांध दें | 

    नवरात्री की पूजन विधि 

    नवरात्री पर माता के पूजन के लिए कुछ खास पद्धतियां है और उनके अनुसार माता का पूजन करने पर आपको आशीर्वाद मिलता है | आइये जानते है की आपको नवरात्री का पूजन किस तरह करना है – 

    • पूजन को अग्नि देवता की साक्षी में करने का विशेष महत्व है इसलिए पूजन की शुरुआत में एक दीपक में घी भरकर दीपक प्रज्वल्लित करें | 
    • किसी भी भगवान या देवता के पूजन में सबस पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है | इसलिए सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान करते हुए उनका रोली से तिलक लगाएं और मौली अर्पित कर उनका पूजन करें | 
    • इसके बाद माता को सबसे पहले आह्वान करें | 
    • माता को शुद्ध जल से स्नान करवाएं फिर पंचामृत से स्नान करवाएं फिर एक  बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं | 
    • माता को वस्त्र अर्पित करें इसके लिए माता की फोटो या मूर्ति पर मोली चढ़ाएं | 
    • माता को तिलक लगाएं और माता को गंध अर्पित करें | 
    • माता को पुष्प अर्पित करें और माला सुगन्धित पुष्प माला पहनाएं | 
    • नैवेद्य अर्पित करें | 
    • इसके पश्चात् माता के आगे धुप और दीपक से पूजा करें | 
    • अंत में पुष्पाजंलि करें और माता को नमन करें , और पूजा में यदि कोई गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थना करें | 
    • अब परिवार जन सहित  माता की आरती गाएं | 
    • अब माता के घर में बने व्यंजनों का भोग लगाएं और सभी को प्रसाद बाँटें | 
    • 9 दिन तक इसी प्रकार पूजन करें और अंत के दिन पूजन के पश्चात् माता के भोग लगाएं और 10 साल से कम उम्र की 9 कन्याओं को भोजन करवाएं | 
    • उन कन्याओं के पैर धोएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करें |  

    नवरात्री के पहले दिन की पूजा 

    दिनांक – 15 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 

    अधिस्ठात्री देवी – माँ शैलपुत्री 

    मन्त्र – 

    वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम | 

    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम || 

    पूजन शुभ चौघड़िया मुहूर्त – 

    व्रत कथा – 

    माँ भगवती जिन्हें पहला स्वरूप का नाम शैलपुत्री है | हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है | नवरात्री के पहले दिन इन्ही का पूजन होता है इनका वाहन वृषभ है और इनके बाएं हाथ में पुष्प  और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए है | 

    नवरात्री के दूसरे दिन की पूजा 

    दिनांक – 16 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल द्वितीया 

    अधिस्ठात्री – माँ ब्रह्मचारिणी 

    मन्त्र – 

    दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू | 

    देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचरणयनुत्तमा || 

    नवरात्री के तीसरे दिन की पूजा 

    दिनांक –  17 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल तृतीया 

    अधिस्ठात्री देवी – चन्द्रघण्टा 

    मन्त्र – 

    पिंडज प्रवरारूढा चैंकोपास्त्रकैर्युता | 

    प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता || 

    पूजन शुभ चौघड़िया मुहूर्त – 

    चौथे दिन की पूजा 

    दिनांक – 18 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल चतुर्थी 

    देवी – माँ कूष्माण्डा 

    मन्त्र – 

    सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | 

    दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे || 

    पांचवे दिन की पूजा 

    दिनांक – 19 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल पंचमी 

    देवी – माँ स्कंदमाता 

    मन्त्र – 

    सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्व्या | 

    शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी || 

    छठे दिन की पूजा 

    दिनांक – 20 अक्टूबर 2023  

    तिथि – आश्विन शुक्ल षष्ठी 

    देवी – माँ कात्यायनी 

    मन्त्र – 

    चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना | 

    कात्यायनी शुभं दध्यादेवी दानवघातिनी || 

    सातवें दिन की पूजा 

    दिनांक – 21 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल सप्तमी 

    देवी – माँ कालरात्रि 

    मंत्र 

    एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | 

    लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || 

    वामपदहोलसल्लोहलताकण्टक भूषणा | 

    वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी 

    आठवें दिन की पूजा 

    दिनांक – 22 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल सप्तमी 

    देवी – माँ महागौरी 

    मंत्र – 

    श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः | 

    महागौरी शुभं दधानमहादेवप्रमोददा || 

    नवें दिन की पूजा 

    दिनांक – 23 अक्टूबर 2023 

    तिथि – आश्विन शुक्ल अष्टमी 

    देवी – माँ सिद्धिदात्री 

    मंत्र 

    सिद्धगंधर्वयक्षाधैरसुरैस्मरैरपि | 

    सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी || 

    नवरात्री पूजा की आरती 

    जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी | 

    तुमको निशदिन ध्यावत हरी ब्रह्मा शिवरी ||  ॐ जय अम्बे गौरी० 

    मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको | मैया टीको मृगमदको  

    उज्जवल से दोउ नैना, निर्मल से दोउ नैना, चन्द्रवदन निको || जय आंबे गौरी ० 

    कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै | 

    रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठं पर साजै || जय अम्बे गौरी ० 

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी | 

    सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी || जय अम्बे गौरी ० 

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती | 

    कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योति || जय अम्बे गौरी ० 

    शम्भू निशुंभ विदारे, महिषासुर घाती | 

    धूम्र-विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती || जय अम्बे गौरी ० 

    चण्ड मुण्ड संहारे शोणितबीज हरे | 

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे || जय अम्बे गौरी ० 

    ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमलारानी | 

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी || जय अम्बे गौरी ० 

    चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुँ | 

    बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू || जय अम्बे गौरी ० 

    तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता | 

    भक्तनकी दुःख हारता सुख सम्पति करता | जय अ म्बे गौरी ० 

     भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी | 

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी || जय अम्बे गौरी ० 

    कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती | 

    श्री मालकेतु में राजत, धौलागढ़ में विराजत कोटिरतन ज्योति || जय अम्बे गौरी ० 

    श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै | औ मैया प्रेम सहित गावै | 

    कहत शिवानंद स्वामी, रटत भोलानंद स्वामी,मनवांछित फल पावै,

    वाकें सब दुःख मिट जावे, वाकें घर लक्ष्मी आवै, सुख सम्पति पावै || 

    ॐ जय अम्बे गौरी || 

     नवरात्री पूजा और व्रत का महत्व 

    एक बार देवताओं के गुरु बृहस्पति ने  ब्रह्माजी के सामने हाथ जोड़कर निवेदन करते हुए बोले हे परमपिता कृपया करके बताएं की चैत्र और आश्विन मास में की जाने वाली नवरात्री पूजा का क्या महत्व है और यह पूजा क्यों की जाती है | साथ ही यह भी बताइये की सबसे पहले नवरात्री पूजा और व्रत को किसने किया था | 

    बृहस्पति जी के यह वचन सुनकर ब्रह्मा जी बोले – हे देवगुरु आपने बहुत ही अच्छा प्रश्न किया है केवल आप ही नहीं मैं पुरे विश्व के कल्याण के लिए नवरात्री पूजा की व्रत कथा और इसके महत्व के बारे में आपको बताता हूँ | 

    जो भी भक्त नवरात्री की पूजा और व्रत को नियम पूर्वक करता है उसे उसके घर में सुख समृद्धि का वास रहता है | घर से रोग दोष बीमारियां दूर रहती है | बाँझो को संतान प्राप्ति होती है | समस्त पापों से छुटकारा मिलता है | इस व्रत को करने के लिए जरुरी नहीं है की पुरे दिन का उपवास रखे वह एक समय भोजन करें | 9 दिन तक माता के 9 रूपों को पूजन करें और नवरात्री व्रत की कथा को सुने | अब मैं आपको यह कथा सुनाता हूँ | 

    नवरात्री पूजा की व्रत कथा 

    बहुत समय पहले एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था जिसका नाम पिठत था | वह माँ भगवती का अनन्य भक्त था | माता की भक्ति से उसके घर में एक बहुत ही सूंदर कन्या का जन्म हुआ | उम्र के अनुसार धीरे धीरे कन्या बढ़ने लगी | उसके पिता रोजाना माता दुर्गा की पूजा करके हवन किया करते थे | सुमति भी अपने पिता के साथ रोजाना वहां उपस्थित रहकर माता की आराधना किया करती थी | एक दिन जब पिता माता दुर्गा की पूजा कर रहे थे उस समय सुमति वहां उपस्थित नहीं हुई | जिसकी वजह से उसके पिता को उस पर बहुत क्रोध आया और वह बोले की, हे अभागिन आज तू पूजा में उपस्थित नहीं हुई मैं तेरा विवाह किसी गरीब या कोढ़ी व्यक्ति से तेरा विवाह कर दूंगा | 

    तब सुमति ने दुखी होकर अपने पिता से कहा – पिताजी मैं आपकी पुत्री हूँ आप जिससे चाहे मेरा विवाह कर सकते है लेकिन होगा वही जो मेरे भाग्य में लिखा होगा | मनुष्य का कार्य केवल कर्म करना है फल देना भगवान के हाथ में है | अपनी पुत्री की ऐसी बातें सुनकर पिता को ओर भी अधिक क्रोध आया और उन्होंने सच में ही अपनी बेटी का विवाह एक कुष्ठी के साथ कर दिया | पिता अपनी बेटी सुमति से बोले तुझे भाग्य पर अति विश्वास है ना तो जा अब देख तेरे भाग्य में दुःख भोगना ही लिखा है | 

    कुष्ठी पति के साथ दिन बिताते हुए सुमति को भी लगने लगा था की उसके भाग्य में शायद दुःख ही लिखे है| लेकिन पूर्व जन्मों के पुण्य फल से एक दिन माता भगवती उसके सामने प्रकट हुई और बोली पुत्री मैं तुझसे प्रसन्न हूँ मांग तुझे क्या मांगना है | ऐसे में सुमति बोली हे माता आप कौन है और मुझ पर किस कारण से प्रसन्न हुई है कृपया करके मुझे बताएं | ऐसे में माँ भगवती बोलीं की पुत्री पूर्व जन्म में तू एक भील की पत्नी थी और पतिव्रता थी | एक दिन चोरी करने के अपराध में राजा के सिपाही ने तेरे पति और तुझे बंदी बना लिया | और तुम्हें 10 दिन तक खाने के लिए कुछ नहीं दिया | संयोग से वे दिन नवरात्री के थे जिसकी वजह से ही अनजाने में ही तुमसे 10 दिन का व्रत हो गया | मैं तेरे नवरात्री के उन्हीं पुण्य फलों को देने आयी हूँ तू जो चाहे मुझसे मांग सकती हो | 

    तब सुमति बड़ी प्रसन्न होकर माँ को बारम्बार प्रणाम कर बोली माँ यदि आप मुझ पर प्रसन्न है तो मेरे पति को रोगमुक्त कर दीजिए और उसे स्वस्थ कर दीजिये | ऐसे में माँ भगवती ने उसके नवरात्री के एक दिन की नवरात्री व्रत के फलस्वरूप उसके पति के कोढ़ को दूर कर कान्तियुक्त कर दिया | इसके साथ ही माता ने उसे एक अति तेजस्वी पुत्र का वरदान देकर अंतर्धान हो गयी | 

    इस तरह जो भी व्यक्ति नवरात्री में माँ भगवती की पूजा और व्रत करता है माँ उसके दुःख दूर कर उसके सभी कष्टों को हर लेती है | 

    नवरात्री पूजा की बुकिंग कैसे करें 

    नवरात्री पूजा से जुडी सेवाओं की अधिक जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।
    अगर आपके पास समय की कमी है और नवरात्री की पूजा की व्यवस्थाओं के लिए समय नहीं निकाल पा रहे है तो परेशान ना हो | अब आपकी सुविधा के लिए स्मार्टपूजा लेकर आया है वन स्टॉप समाधान | जहाँ पर आपको एक ही जगह पुरोहित, पूजा सामग्री, मुहूर्त निकलवाने की वयवस्था , पूजा मंडप सजाने की व्यवस्था उचित शुल्क पर की जाती है | अब आप एक बार बुकिंग करवाकर  निश्चितं होकर अपना काम करें और बाकी सारी व्यवस्थाओं को हम पर छोड़ दें | हम आपके लिए विशिष्ट सेवाओं के साथ दिव्य पूजा करने का अनुभव प्राप्त होने का विश्वास दिलाते है |

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