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2022 में तुलसी विवाह कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा Festivals

2023 में तुलसी विवाह कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा…

  • 19 September 202220 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

हिन्दू धर्म के अनुसार आषाढ़ माह की शुक्ल एकादशी को 4 महीने के लिए भगवान विष्णु क्षीर सागर में चिर निद्रा के लिए चले जाते है और 4 महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान चिर निद्रा से जागते है | भगवान के सोने के इन 4 महीनों को सामान्य भाषा में “देव सोना” कहा जाता है | इन 4 महीनों में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते है | जब भगवान विष्णु चिर निद्रा से जागते है तो अगले ही दिन यानि की कार्तिक शुक्ल की द्वादशी को विष्णु जी के विग्रह रूप शालिग्राम जी का विवाह तुलसी माता के साथ होता है | तुलसी शालिग्राम विवाह एक धार्मिक कर्म है और इसको करने से बहुत ही पुण्य प्राप्त होता है इसलिए हर साल महिलाऐं तुलसी शालिग्राम का विवाह करती है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करती है | 

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त कब है 

वर्ष 2023 में तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को है जो की 24 नवंबर 2023 को है | 

तुलसी विवाह के लिए पूजन सामग्री 

  • तुलसी का पौधा 
  • भगवान शालिग्राम और विष्णु भगवान की फोटो 
  • भगवान गणेश जी की मूर्ति या फोटो 
  • मिटटी या ताम्बे का कलश 
  • 2 चौकी 
  • चौकी पर बिछाने के लिए लाल कपडे 
  • तुलसी माता के श्रृंगार का सामान ( बिंदी, हार, मेहँदी, चूड़ियां, साडी, ओढ़नी )
  • चावल 
  • रोली  
  • मौली 
  • जनेऊ 
  • सुपारी 
  • दीपक और बत्ती 
  • पान के पत्ते 
  • अशोक और आम के पत्ते 
  • पंच मेवा 
  • कपूर 
  • अगरबत्ती 
  • दूर्वा, घास, केले के पत्ते 
  • इत्र 
  • भगवान शालिग्राम के लिए वस्त्र 

तुलसी विवाह की तैयारी कैसे करें

  • तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह करने के लिए मंदिर या घर उत्तम स्थान है | 
  • जो भी व्यक्ति तुलसी जी का कन्यादान करता है उसे पुरे दिन उपवास रखना चाहिए | 
  • घर में पूजा के स्थान और दरवाजे और अन्य कमरों में भी रंगोली बनानी चाहिए | 
  • घर या मंदिर के दरवाजों को फूलमालाओं और अशोक के पत्ते से सजाना चाहिए | 
  • घर के प्रत्येक सदस्य को स्नान करने के बाद इस पूजा में शामिल होना चाहिए | 
  • तुलसी माता और शालिग्राम जी को वर और वधु के रूप में श्रृंगार करना चाहिए | 

तुलसी विवाह की पूजा विधि 2023 

  • सबसे पहले स्थान को साफ़ करके 4 गन्नों से विवाह का मंडप बनाएं | 
  • स्थान को साफ़ करके एक चौकी पर कपडा बिछाकर तुलसी माता का पौधा रखें | 
  • अब पास में ही दूसरी चौकी रखें और उन पर लाल कपडा बिछाएं | 
  • चौकी पर भगवान शालिग्राम और विष्णु भगवान की फोटो को विराजित करें | 
  • तुलसी जी का पौधा शालिग्राम जी की दायीं और रखें | 
  • कलश रखें और उस पर आम के पत्ते रखें | 
  • विवाह मंडप में गन्ने 
  • गणेश जी को स्थापित करें | 
  • सबसे पहले गणेश जी का आह्वान करें और इस विवाह को विधिपूर्वक निर्विघ्न संपन्न होने के लिए आशीर्वाद मांगे | 
  • तुलसी माता का श्रृंगार करें | 
  • अब शालिग्राम जी को भी स्नान करने के बाद उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और चौकी पर बिठाएं | 
  • अब तुलसी जी और शालिग्राम जी को हल्दी लगाएं | 
  • अब शालिग्राम जी को आसान सहित उठाकर तुलसी जी की 7 बार परिक्रमा करें | 
  • अब सभी खड़े हो जाएं और तुलसी जी और शालिग्राम जी की आरती गाएं | 
  • तुलसी जी और शालिग्राम जी के भोग लगाएं | 
  • सभी अक्षत और फूलों की पुष्पांजलि करें | 

तुलसी विवाह मंत्र

‘महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते’

नियमित इस मन्त्र के पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है और आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है | 

तुलसी विवाह की कथा 

हिन्दू धर्म में तुलसी जी के पौधे को बहुत ही पवित्र माना गया है और हर घर में तुलसी जी का पौधा पाया जाता है | भगवान के विग्रह रूप शालिग्राम जी को तुलसी जी अत्यंत प्रिय है और उनकी पूजा में शालीग्राम जी को रोजाना तुलसी जी अर्पित की जाती है | तुलसी जी भगवान को क्यों इतनी प्रिय हुई इसके लिए मद्देवी भागवत पुराण की एक पौराणिक कथा जुडी हुई है | 

एक बार भगवान शंकर ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया उससे एक भयंकर राक्षस जलंधर का जन्म हुआ | उस राक्षस ने राक्षसराज कालनेमि की बेटी वृंदा से विवाह किया | वृंदा एक बहुत ही पतिव्रता स्त्री थी और उसके सतीत्व के तपोबल से जालंधर देवताओं को पराजित कर देता था | अपनी पतिव्रता पत्नी के तपोबल का उसे अत्यंत अभिमान हो गया और वह देवताओं की पत्नियों को सताने लगा | अभिमान में चूर होकर एक दिन वह विष्णु भगवान की पत्नी लक्ष्मी को हरण करने चला गया | लेकिन लक्ष्मी माता ने बताया की वह भी समुद्र से उत्पन्न हुई है इसलिए इस तरह से वह उनकी बहन हुई | जालंधर को यह बात सही लगी और वह वहां से चला गया | 

वैकुण्ठ लोक से निकलकर वह सीधा कैलाश पर्वत चला गया जहाँ पर वह माता पार्वती को छीन लेना चाहता था लेकिन माता पार्वती वहां से अंतर्धान हो गयी | जब उन्होंने भगवान शिव को बताया तो भगवान शिव ने जालंधर से युद्ध किया लेकिन वृंदा के सतीत्व के बल से बहुत प्रयास के बाद भी वह पराजित नहीं हो पाया | ऐसे में भगवान विष्णु ने वृंदा के तपोबल को नष्ट करने के लिए जालंधर का वेश बनाया और वृंदा के पास गए | वृंदा उन्हें पहचान नहीं पाई और अपने पति समझ कर उनसे व्यवहार करने लगी | 

वृंदा का पतिव्रत नष्ट होने से जालंधर की शक्ति कम हो गयी और भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से उसका सर अलग कर दिया | उसका सर सीधा वृंदा के महल में जाकर गिरा | अपने पति का सर देखकर वृंदा समझ गयी की यह विष्णु जी की चाल है | ऐसे में गुस्से में आकर वृंदा ने विष्णु भगवान को पत्थर हो जाने का श्राप दे दिया | वृंदा का यह श्राप भगवान ने स्वीकार किया और वह पत्थर के हो गए | इसके बाद वृंदा ने आत्मदाह किया और उनकी राख से तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और इसी दिन के बाद से ही शालिग्राम और तुलसी के विवाह की परम्परा शुरू हुई | 

तुलसी विवाह का महत्व 

  • तुलसी शालिग्राम विवाह से आपके घर में सुख शांति और समृद्धि का वास होता है | 
  • भगवान विष्णु की कृपा आप पर बरसती है | 
  • तुलसी से युक्त भोग भगवान शालिग्राम और भगवान कृष्ण को बेहद पसंद होता है | 
  • तुलसी विवाह से आपके घर में नेगेटिव एनर्जी दूर होकर पोजेटिव एनर्जी का वास होता है | 

तुलसी विवाह से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1.
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2022 में कार्तिक पूर्णिमा कब है, पूजा विधि, सामग्री एवं कथा Festivals

2023 में कार्तिक पूर्णिमा कब है, पूजा विधि, सामग्री…

  • 19 September 202221 January 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बड़ा ही धार्मिक महत्व है और इस दिन वैदिक रीती  रिवाजों के अनुसार पूजन करने से बहुत ही पुण्य मिलता है | कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है | हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है और इसके ठीक एक महीने बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सारे देवता धरती पर आते है और अपनी दिवाली मनाते है इसलिए इस दिन को देव दीपावली भी कहा जाता है | 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने महा भयंकर राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन दान देने से आपके और आपके परिवार के लिए बहुत ही शुभ फल मिलता है | साथ ही इस दिन जो व्यक्ति सुबह जल्दी गंगा जी में या अन्य नदी में स्नान करके पूजा करता है उसको उसकी पूजा का कई गुना प्रतिफल मिलता है | 

कार्तिक पूर्णिंमा के महत्व के बारे में हमारे धर्मशास्त्रों में बहुत लिखा हुआ है इसलिए इस दिन स्नान, ध्यान, दान और पूजा कर आप भी अपने सिंचित पुण्य में इजाफा कर सकते है | अब यदि आप किसी मेट्रो सिटी में रहते है तो आप घर पर किसी भी तरह की पूजा करवाने के लिए ऑनलाइन ही पूजन सामग्री, पंडित और सजावट की व्यवस्था कर सकते है | जिसके बारे में पूरी जानकारी आपको कार्तिक पूर्णिमा के इस लेख के अंत में मिल जाएगी | 

2023 में कार्तिक की पूर्णिमा कब है ? 

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शरद पूर्णिमा 2022 में कब है, पूजा विधि, सामग्री, व्रत, कहानी, पूजा मन्त्र Festivals

शरद पूर्णिमा 2023 में कब है, पूजा विधि, सामग्री,…

  • 19 September 202221 January 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

भारतीय कैलेण्डर विक्रम संवत के अनुसार वर्ष में कुछ खास तिथियां ऐसी होती है जो की बहुत ही शुभ होती है और इनका हिन्दू धर्म में बहुत ही खास महत्व होता है | प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है | आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को सभी पूर्णिमा तिथियों में श्रेष्ठ माना जाता है | शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है | यह शुभ तिथि अतुलनीय फल दायी है और इसके करने से जीवन में सभी तरह के सुख और सम्पन्नता प्राप्त होती है |

जब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तब समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी आश्विन पूर्णिमा के दिन ही निकली थी तभी से इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है | इस दिनचंद्र देव अपनी पूरी 16 कलाओं के साथ दर्शन देते है | शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर उसे चन्द्रमा के प्रकाश में रखा जाता है और उसका प्रसाद बांटा जाता है | यह मान्यता है की इस दिन चन्द्रमा की किरणों में अमृत होता है | जब वह खीर में गिरती है तो खीर विशेष गुणों से युक्त हो जाती है और इस खीर को खाने से आपका स्वास्थ्य सदैव अच्छा रहता है और यह खीर आपके सौभाग्य में वृद्धि करती है | 

शरद पूर्णिमा कब है 

भारतीय कैलेण्डर के अनुसार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है |

2023 में शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 को है | 

शरद पूर्णिमा पूजन सामग्री 

सभी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा का बहुत ही महत्व होता है | लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है | माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए निम्नलिखित पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है – 

  • एक चौकी और उस पर बिछाने के लिए एक कपडा 
  • माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा 
  • एक कलश 
  • आम और आशा पाला के पत्ते 
  • पूजन के लिए थल 
  • रोली, मोली, चावल
  • सुपारी 
  • पान के पत्ते 
  • भोग के लिए खीर 
  • पूजन के लिए घी का दीपक 
  • धुप और कपूर 

शरद पूर्णिमा पूजन विधि 

  • शरद पूर्णिमा की पूजा के लिए पहले उत्तर या पूर्व दिशा में पूजन की जगह को साफ़ करें और धो कर उस स्थान पर स्वस्तिक बना कर चौकी बिछा दें | 
  • अब चौकी पर कपडा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें | 
  • अब कलश स्थापित करें | 
  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें | 
  • उसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें | 
  • सबसे पहले माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को दूध, दही, शहद और गंगाजल से स्नान करवाएं | 
  • स्नान करवाने के बाद वस्त्र एवं उपवस्त्र अर्पित करें | 
  • माता लक्ष्मी को मधुपर्क अर्पित करें | 
  • आभूषण समर्पित करें | 
  • अपनी दाएं हाथ की अनामिका उंगुली से केसर से युक्त चन्दन अर्पित करें | 
  • सिंदूर, कुमकुम और इत्र अर्पित करें | 
  • चावल और दूर्वा समर्पित करें | 
  • धुप, दीप और नैवेद्य समर्पित करें | 
  • ऋतुफल, सुपारी और दक्षिणा पर अर्पित करें | 
  • अब सभी खड़े हो जाएं और माता लक्ष्मी की आरती गाएं | 
  • आरती के पश्चात सभी हाथ में चावल और फूल लेकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को पुष्पांजलि करें | 

शरद पूर्णिमा का व्रत

शरद पूर्णिमा के व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें | साफ़ स्वच्छ कपडे पहनकर व्रत का संकल्प लें | शुभ मुहूर्त पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें | रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य देकर चन्द्रमा की रौशनी में रखी खीर खाकर और भोजन करके अपना व्रत खोलें | 

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन से ही भारत में शरद ऋतु का आरम्भ माना जाता है इस दिन से हल्की हल्की ठण्ड पड़ने लग जाती है | भारतीय त्योहारों में शरद पूर्णिमा का भी एक खास महत्व है और इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी तरह के दुःख कष्टों का निवारण होता है और घर में धन धान्य,समृद्धि होती है | शरद पूर्णिमा की रात्रि को चांदनी में खीर को रखा जाता है | मान्यता है ऐसा करने से खीर में अमृत्व का प्रभाव होता है और उस खीर को प्रातः खाने से शरीर के सभी तरह के रोग और व्याधि दूर हो जाते है |  

शरद पूर्णिमा की कहानियां 

शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है मान्यता है की इस दिन चन्द्रमा  की अद्भुत छठा के अंदर भगवान कृष्ण ने समस्त गोपियों के संग महारास रचाया था | इसके अलावा एक कथा शरद पूर्णिमा के साथ ओर जुडी हुई है | कथा के अनुसार बहुत समय पहले एक नगर में एक साहूकार रहता था | उस साहूकार के दो बेटियां थी | 

दोनों बेटी सुन्दर और धार्मिक थी | हर पूर्णमासी पर दोनों व्रत रखती | उनमें से बड़ी बेटी हमेशा व्रत पुरे विधि विधान से करती जबकि छोटी बेटी उसे अधूरा ही उपवास करती | समय आने पर साहूकार ने अपनी बेटियों की शादी सुन्दर गुणवान युवकों से कर दी | शादी के उपरांत बड़ी बेटी जिसने पूर्णिमा के व्रत सही तरह से किये थे उसने स्वस्थ और और सुन्दर संतान को जन्म दिया और जो छोटी बेटी थी उसकी संतान जन्म लेते ही मर जाती | 

ऐसे में उसका पूरा परिवार दुखी रहने लगा | जब उन्होंने एक पहुंचे हुए महात्मा से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की यह सब अधूरे पूर्णिमा के व्रत का प्रभाव है | इसके कारन ही इसके बच्चे जन्म लेते ही मर जाते है | इसके बाद उन महात्मा ने उसे पूर्णिमा व्रत की विधि बताई और कहा की यदि शरद पूर्णिमा पर वह व्रत करेगी तो इसका उसे बहुत ही शुभ प्रति फल मिलेगा और उसकी सभी मनोकामना भी पूरी होगी |

उसने महात्मा के बताये अनुसार पूर्णिमा का व्रत किया लेकिन शायद किसी कमी की वजह से इस बार भी उसे मृत संतान हुई | वह बहुत दुखी हुई और रोने लगी | इसी समय उसकी बड़ी बहन उसके घर आयी तब उसने अपने मृत बेटे को पीढे पर लिटाकर उस पर कपडा बिछा दिया | और बहन को बैठने के लिए उसने वही पीढ़ा दे दिया |

जैसे ही उसकी बहन उस पर बैठने को हुई और उसका स्पर्श उस कपडे को हुआ तो उसमें से बच्चे के रोने की आवाज आने लगी | वह चौंक गयी और अपनी छोटी बहन से बोली की हे राम ये तुम क्या कर रही हो अपनी संतान पर मुझे बैठाकर उसके मारने का दोष मुझ पर लगाना चाहती हो | वह बोली नहीं दीदी यह संतान तो मरी हुई पैदा हुई थी लेकिन तुम्हारे प्रताप से ही यह जीवित हुई है | ऐसा कहकर उसने पुरे गाँव में पूर्णिमा के व्रत की महिमा सभी को बताई की किस तरह उसके बेटे की जान इस पूर्णिमा के व्रत के प्रभाव से बची |  

शरद पूर्णिमा पर महालक्ष्मी पूजन मन्त्र 

सुरासुरेन्द्राकिरीटमौक्तिकै 
यूर्कत्म सदा यत्तव पादपङ्कजम | 
परावरं पातु वरं सुमङ्गलं 
नमामि भक्त्यखिलकामसिद्धये || 
भवानी त्वं महालक्ष्मीः सर्वकामप्रदायनी || 
सुपूजिता प्रसन्ना स्यान्महालक्ष्मी !
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सत्यनारायण पूजा विधि,सामग्री, शुभ मुहूर्त 2022 एवं कथा Festivals

सत्यनारायण पूजा विधि,सामग्री, शुभ मुहूर्त 2023 एवं कथा

  • 17 September 202222 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
सत्यनारायण पूजा @smartpuja

कलियुग में सत्यनारायण कथा को सुनने का बड़ा महातम्य है, इसे सुनने मात्र से जीवन के सब कष्ट, रोग, व्याधि और दुःख दर्द दूर हो जाते है | सत्यनारायण पूजा में भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है एवं उनकी कथा सुनाई जाती है |

सत्यनारायण पूजा कुछ घंटे की पूजा होती है और इस पूजा में भगवान नारायण यानि की विष्णु भगवान के सत्य स्वरूप की पूजा की जाती है | सत्यनारायण पूजा के बारे में स्कंदपुराण में बताया गया है | सत्यनारायण पूजा में कई छोटी छोटी कहानियों का संकलन है जिसके द्वारा यह बताया गया है की सत्य ही नारायण है | यानि की इस संसार में जो सत्य है वह स्वयं भगवान नारायण है और बाकि पूरी दुनिया मिथ्या है यानि की उसका कोई अस्तित्व नहीं है | इसलिए जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की पूजा करता है और उसके अनुसार ही अपने कर्म करता है | भगवान उस पर अत्यंत प्रसन्न होते है और अपनी कृपा दृष्टि से उसके सभी कष्ट और दुःख दर्द दूर कर उनकी समस्त मनोकामना पूर्ण करते है| 

सत्यनारायण पूजा का शुभ मुहूर्त 2023 में 

स्कंदपुराण के रेवाखंड में सत्यनारायण पूजा कब करनी चाहिए इसके लिए गुरुवार और पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण बताया गया है | इसके अलावा शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भी सत्यनारायण पूजा के लिए शुभ बताया गया है | यदि सत्यनाराण पूजा इन शुभ दिनों पर की जाती है तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है और इससे कथा कराने वाले और व्रत करने वाले यजमान को 1000 हवन के बराबर पुण्य मिलता है | 

श्री सत्यनारायण पूजा सामग्री लिस्ट

  • भगवान सत्यनायराण या शालिग्राम जी की फोटो या मूर्ति 
  • भगवान को विराजमान करने के लिए एक लकड़ी की चौकी 
  • चौकी पर बिछाने के लिए एक सफ़ेद वस्त्र 
  • भगवान की पूजा के लिए थाल 
  • रोली, चावल, मौली
  • दीपक, बत्ती और घी 
  • पंचगव्य 
  • पंचामृत ( दूध, दही, घी, बुरा, शहद ) 
  • केले के पत्ते 
  • भगवान के भोग के लिए केले, तुलसी के पत्ते, मिठाई और पंजीरी का प्रसाद 
  • दूर्वा 
  • पान 
  • कुमकुम 

श्री सत्यनारायण पूजा विधि 

  •  श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा उत्तर या पूर्व की ओर मुँह करके करें | 
  • जिस जगह आप सत्यनारायण भगवान की पूजा कर रहे है उस स्थान को साफ़ करें और संभव हो सके तो गाय के गोबर से उस स्थान को लीप देवें | 
  • उस स्थान पर अब चौकी को रखें | 
  • चौकी के चारों पायों के पास 1-1 केले का पत्ता लगाएं | 
  • चौकी पर कपडा बिछाकर भगवान सत्यनारायण, शालिग्राम जी या ठाकुर जी की मूर्ति स्थापित करें | 
  • एक फोटो भगवान गणेश जी की भी रखें | 
  • एक घी का दीपक जलाएं | 
  • अब सबसे पहले भगवान गणेश जी का पूजन करें | 
  • भगवन गणेश को आह्वान करके उन्हें तिलक, रोली, मोली, चावल, दक्षिणा आदि अर्पित कर उनका पूजन करें | 
  • अब दशों दिक्पालों, नवग्रहों की पूजा करें | 
  • इनके पश्चात् भगवान सत्यनारायण की पूजा करें | 
  • सत्यनारायण भगवान को स्नान कराएं, उन्हें वस्त्र- उपवस्त्र पहनाएं | 
  • उन्हें पंचामृत अर्पित करें | 
  • अब सत्यनारायण कथा का पाठ करें | 
  • भगवान गणेश, श्री सत्यनारायण एवं अन्य देवताओं को भोग अर्पित करें | 
  • अब थाल में दीपक एवं एक अन्य दीपक में धुप डालकर कपूर जलाएं | 
  • अब सभी खड़े हो जाएं और भगवान की आरती गाएं |

प्राचीन काल की बात है एक दिन शौनक आदि ऋषि नैमिषारण्य में स्थित महर्षि सूत के आश्रम पहुचें | वहां पर पहुंचकर उन्होंने महर्षि सूत को प्रणाम किया और बोले की हे ऋषि इस जगत में सभी तरह के लौकिक सुख, दुखों से मुक्ति एवं सुख समृद्धि वैभव पाने का सबसे सरल उपाय क्या है | तब महर्षि सूत बोले की हे ऋषिगण जो प्रश्न आपने किया है यही प्रश्न एक बार नारद जी ने भगवान नारायण से किया था | तब भगवान नारायण ने बताया था की  इस जगत के दुखों से मुक्ति पाने और सुख समृद्धि वैभव पाने के लिए सबसे सरल एवं उत्तम उपाय है सत्यनाराण व्रत का पालन करना एवं कथा सुनना | सत्यनारायण व्रत के लिए सत्य निष्ठां के साथ सत्य आचरण करना ही भगवान सत्यनारायण की सच्ची आराधना है | 

सत्यनारायण कथा 

सत्यनारायण कथा @smartpuja.com

सूत जी ने सभी ऋषियों से कहा की आज मैं आपको सत्यनारायण कथा कहूंगा जो की अति रोचक है और इसके सुनने से अत्यंत पुण्य फल प्राप्त होता है | एक बार काशी नगर में एक ब्राह्मण रहता था वह बहुत ही गरीब था | खाने और पानी की तलाश में वह हमेशा भटकता रहता था | उसकी इस स्थिति को देखकर एक दिन भगवान विष्णु एक ब्राह्मण का वेश रखकर उसके पास पहुंचे और उससे पूछा की तुम इस धरती पर क्यों भटकते रहते हो | वह निर्धन ब्राह्मण बोला हे भद्र पुरुष मै अत्यंत निर्धन हूँ और भिक्षा मांगने के लिए ही मैं यहाँ वहां भटकता रहता हूँ | 

तब भगवान उससे बोले हे ब्राह्मण श्रेष्ठ आज में तुम्हे एक उपाय बता रहा हूँ उसको करने से तुम्हारी सब परेशानी दूर हो जाएगी | तब ब्राह्मण के वेश में भगवान बोले की तुम्हें उत्तम फल प्रदान करने वाले सत्यनारायण व्रत कथा को करना चाहिए | ऐसा कहकर भगवान वहाँ से अंतर्धान हो गए | 

अगले ही दिन उस ब्राह्मण ने विधि विधान के अनुसार सत्यनारायण कथा और व्रत का पालन किया जिससे कुछ ही दिनों में उसके सारे दुःख दर्द दूर हो गए और वह अपने परिवारजनों और मित्रों के साथ आनंद पूर्वक जीवन बिताने लगा | अंत में अपने जीवन के वर्ष पूर्ण कर लेने के बाद वह ब्राह्मण सत्यलोक भगवान वैकुण्ठ के धाम पहुँचा | 

इसके अलावा एक और कहानी है जो की श्री सत्यनारायण के व्रत में कही जाती है जिसे सूत जी ने ऋषियों को सुनाई थी | इस कहानी के अनुसार प्राचीन काल में उल्कामुख नाम के राजा थे जो की बहुत ही धर्म परायण व्यक्ति थे | एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ भद्रशीला नदी के तट पर सत्यनारायण व्रत पूजा कर रहे थे | तभी उधर एक साधु नाम का बनिया आया और राजा को इस तरह पूजा पाठ करते हुए देखकर वह राजा के पास गया और बोला हे राजन आप यह पुरे मनोयोग से किसकी पूजा कर रहे है | तब राजन बोले की संतान प्राप्ति की कामना से मैं भगवान विष्णु की पूजा कर रहा हूँ | राजन से उस व्रत की सारी पूजा विधि जान उसने निश्चय किया की वह भी संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत करेगा | 

घर पहुंचकर उसने अपनी पत्नी लीलावती को सत्यनारायण व्रत की पूरी विधि एवं कथा सुनाई जिसके बाद उसने कहा की अगर उसे संतान प्राप्त हुई तो वह सत्यनारायण का व्रत करेगा | उसके व्रत संकल्प से भगवान सत्यनारायण की कृपा उस पर हुई | और 10 वें महीने में ही उसकी पत्नी लीलावती ने एक सुन्दर कन्या को जन्म दिया | उसका नाम उन्होंने कलावती रखा |

एक दिन साधु की पत्नी ने उससे कहा की अब हमारे घर कन्या भी हो गयी है अब तो हमें सत्यनारायण का व्रत करना चाहिए | तो साधु बोला की जब इसकी शादी हो जाएगी तब हम वह व्रत करेंगे | कन्या के युवती हो जाने पर एक सुन्दर वणिकपुत्र देखकर साधु बनिए ने अपनी बेटी कलावती का विवाह उसके साथ कर दिया | 

लेकिन दुर्भाग्य से वह सत्यनारायण व्रत पूजा करना भूल गया | कुछ समय बीतने पर वह अपने दामाद के साथ ही पास के रत्नसारपुर नगर में व्यापार करने गया | कुछ ही समय में उसका व्यापार अच्छा चलने लगा | लेकिन सत्यनारायण भगवान का व्रत नहीं करने पर भगवान उससे रुष्ट हो गए थे | एक दिन जब वह ससुर और दामाद साथ में खड़े थे तभी एक चोर राजा चंद्रकेतु का धन चुराकर उधर की ओर आ रहा था | 

उसके पीछे राजा के सैनिक थे | उन दोनों वणिकपुत्रो के पास आकर वह चोर डर से वह राजा का चुराया धन उन दोनों के पास छोड़कर भाग गया| पीछे से राजा के सैनिकों ने उनके पास धन देखा तो उन्हें पकड़ कर वहां से ले गए | उसके बाद राजा के आदेश से उन्हें कारागार में डाल दिया गया और उनका सारा धन भी ले लिया|

दूसरी और से बनिए के घर जहाँ पर उसकी पत्नी और बेटी रह रही थी उनका भी सारा धन चोरों ने चुरा लिया | उनके पास 2 वक्त का भोजन भी नहीं हो पाता था और दोनों माँ बेटी भूख प्यास से तड़पती हुई इधर उधर भटकने लगी | एक दिन साधु वणिक की बेटी कलावती एक ब्राह्मण के घर गयी जहाँ पर सत्यनारायण व्रत पूजा हो रही थी | 

उसने वहां पर रहकर व्रत पूजा देखी और कथा सुनकर घर पहुंची और अपनी माँ को पूरा वृतांत सुनाया | उसने अपनी माँ से कहा की सत्यनारायण व्रत करने से सारे दुःख दूर होते है और सारी कामनाएं पूर्ण होती है | इस तरह दोनों माँ बेटी ने अपने बंधू बांधवों के साथ सत्यनारायण पूजा एवं व्रत किया | सत्यनारायण पूजा से भगवान सत्यनारायण प्रसन्न हुए और राजा चंद्रकेतु को स्वप्न में दर्शन दिया और बोले की दोनों वणिक निर्दोष है और उन्हें तुरंत छोड़ दें और उनका सारा धन दे दें अन्यथा तुम्हारे पुरे राज्य एवं पुत्र का नाश हो जायेगा | 

राजा ने अपना स्वप्न पूरी सभा में सुनाया और दोनों वणिकपुत्रों को उनका धन देकर छोड़ दिया | इस तरह जो भी भगवान सत्यारायण का व्रत एवं पूजा करता है उस पर भगवान सत्यनारायण की कृपा होती है और उसकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होती है | 

सत्यनारायण पूजा बुकिंग कैसे करें ?  

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Vahan Puja Festivals

Vahan Puja 2023: Showing Gratitude to Your Vehicles

  • 16 September 202218 July 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

As Hindus, before we do anything significant, we do it according to Muhrat and perform puja to express our gratitude to god and seek their blessings. Hindus conduct puja for everything from a new house to a new car. These pujas hold significant meaning in our culture. 

Vahan Puja is one such puja in which the puja of the vehicle is done to bless it and keep it away from future accidents.… Read the rest

Kaal Sarp Dosh Puja Festivals

Kaal Sarp Dosh Puja

  • 15 September 202226 October 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
Kaal Sarp Dosh Puja @smartpuja.com

In times of difficulty, such as delays in marriage, poor health, financial problems, depression, difficulty in concentrating, or inability to complete tasks, our elders often warn us that we may be experiencing Kaal Sarp Dosh or Kaal Sarp Yog. 

Kaal Sarp Dosh or Kaal Sarp Yog is one of the most disruptive doshas one can have in their horoscope.… Read the rest

engagement puja Festivals

Engagement Puja/Pooja 2023

  • 13 September 202231 March 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

Engagement Puja is one of the most critical and fun-filled events before the couple’s wedding. In this ceremony, the groom’s family officially asks for the bride’s hand, exchanges gifts, and elders offer blessings to the couple for their onward journey. 

Also, on this day, the bride and the groom exchange rings in the presence of their families and friends, which signify the couple’s official union. Some… Read the rest

गण्डमूल नक्षत्र शांति पूजा 2023 Festivals

गण्डमूल नक्षत्र शांति पूजा 2023

  • 3 September 202221 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मूल नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों को इन नक्षत्रों की स्थिति के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने के लिए गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा की जाती है | यह पूजा बहुत ही जरुरी पूजा होती है और इसके कारण बच्चों के ऊपर से मूल दोषों का निवारण होता है | इन नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों के साथ ही इन नक्षत्रों का प्रभाव उनके माता पिता पर भी पड़ता है इसलिए यह पूजा बच्चे के पैदा होने के कुछ समय बाद ही की जाती है | गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा में गण्ड नक्षत्र के स्वामी बुद्ध और मूल नक्षत्र के स्वामी केतु की शांति के लिए पूजा की जाती है | 

स्मार्टपूजा एक धार्मिक स्टार्टअप है जिसमें हम गंडमूल शांति पूजा के लिए आपको एक बेहतरीन पूजा पैकेज प्रदान करते है | इस पूजा पैकेज में हम आपको शुभ मुहूर्त, पंडित की व्यवस्था और पूजन सामग्री की व्यवस्था करते है | हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए गए पंडित पुरे विधि विधान से आपके पूजा और अनुष्ठान को पूरा करवाते है जिससे आपके बच्चे के ऊपर से  मूल दोषों का विधिवत निवारण होता है |    

मूल नक्षत्र कौन से होते है ?

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ऑफिस पूजा Festivals

ऑफिस पूजा 2023: समृद्धि एवं सफलता के लिए शुभारंभ

  • 3 September 202220 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

यदि आप कोई नयी दुकान या ऑफिस की शुरुआत कर रहे है तो आप निश्चित ही चाहेंगे की आपका व्यापार बढे , आपको अच्छा लाभ हो | जब भी हम कोई नया कार्य शुरू करते है तो हम चाहते है की भगवान का आशीर्वाद हम पर बना रहे और जो कार्य हम शुरू कर रहे है उसमें हमें सफलता मिले | दुकान, ऑफिस या कोई भी नया व्यापार शुरू करने के लिए विधि विधान से पूजा करना श्रेष्ठ रहता है | 

ऑफिस पूजा

नया व्यापार शुरू करने पर विघ्नहरण गणेश जी की, धन की देवी माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा की जाती है | इस पूजा में स्थान की शुद्धि, वास्तु दोष के निवारण के लिए नवग्रह आदि की पूजा की जाती है | भगवान गणेश जी आपके व्यापार को आशीर्वाद प्रदान करते है जिससे आपके व्यापार में आ रही बाधाएं दूर होती है | माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से आपके व्यापार में धन की कभी कमी नहीं होती है | पूजा के द्वारा आपके व्यापार के स्थान पर सकारात्मकता रहती है और आप पुरे मन से कार्य करते है जिससे आपका व्यापार तेजी से तरक्की करता है | 

यदि आप ऑफिस, दुकान या कोई अन्य तरह से व्यापार शुरू करने का प्लान कर रहे है और उसके लिए पूजा करवाना चाहते है तो आपके लिए स्मार्टपूजा एक बेहतर विकल्प है | स्मार्टपूजा एक धार्मिक प्लेटफॉर्म है जहाँ पर आप एक ही जगह पर पूजा से सबंधित सभी समाधान पा सकते है | स्मार्टपूजा में हम आपकी भाषा और क्षेत्र के आधार पर आपको पंडित की व्यवस्था करते है जिससे आप घर से कितनी भी दूर हो अपनी भाषा में पूजन करवाकर भगवान से अपने व्यापार की उन्नति के लिए आशीर्वाद मांग सकते है | 

2023 में ऑफिस/ दुकान या व्यापार शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त 

महीना कब से कब तक 
जनवरी 2023January 2 – 07:55 से January 2 – 08:30 तक 
January 9 – 08:30 से January 9 – 12:30 तक  
January 30 – 11:30 से January 30 – 12:30 तक 
फरवरी 2023February 13 – 07:40 से February 13 – 08.30 तक 
February 26 – 07:30 से February 26 – 13:00 तक 
मार्च 2023 March 12 – 08:50 से March 12 –  12:00 तक 
अप्रैल 2023April 3 – 10:50 से April 3 – 12.50 तक 
April 22 – 07:40 से   April 22 – 09:20 तक  
मई 2023 May 1 – 09.00 से May 1 – 11:00 तक 
May 15 – 06:10 से  May 15 – 10:00 तक 
जून 2023June 2 – 07:30 से   June 2 – 09:00 तक 
June 15 – 10:40 से  June 15 12:20 तक  
June 16 08:15 से June 16 10:15 तक 
June 25 07:40 से June 25 12:00 तक 
जुलाई 2023July 13 – 06:40 से July 13 – 13:00 तक 
अगस्त 2023August 18 – 07:30 सेAugust 18 – 08:30 तक  
August 23 – 10:40 से August 23 – 12:30 तक 
August 27 – 10:30 से  August 27 – 12:30 तक 
सितम्बर 2023September 1 – 08.00 से  September 1 – 12:00 तक 
September 6 – 07:30 से  September 6 – 09:30 तक 
September 20 – 06:50 से  September 20 – 13:20 तक 
अक्टूबर 2023October 21 – 07.00 से  October 21 – 13:00 तक 
October 30 – 07:15 से  October 30 – 12:30 तक 
नवंबर 2023 November 8 – 10:30 से  November 8 – 12:00 तक 
दिसंबर 2023 December 14 – 11:40 से  December 14 – 13:00 तक 
December 15 – 07:40 से  December 15 – 09:30 तक 
December 24 – 07:50 से  December 24 – 10:50 तक 

ऑफिस और दुकान के किस स्थान पर पूजा करें ? 

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वास्तु पूजा 2023: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार Festivals

वास्तु पूजा 2023: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार

  • 29 August 202217 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

जीवन मे अपना घर बनाना हर व्यक्ति का सपना होता है और वह जीवन भर अपने सपने को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है | घर केवल रहने का स्थान ही नहीं होता है बल्कि यह वह स्थान होता है जहाँ पर एक दूसरे के बीच सामंजस्य, मांगलिक कार्य एवं संस्कार पलते है | ऐसे वह घर हमारे लिए सभी तरह से अनुकूल रहे इसके लिए गृह प्रवेश से पहले वास्तु पूजा की जाती है | वास्तु पूजा क्या होती है और यह हमारे गृह प्रवेश से पहले क्यों की जाती है यह जानना बेहद जरुरी है | आज के इस लेख में हम वास्तु पूजा सामग्री, और वास्तु पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगें |

वास्तु पूजा @smartpuja.com

वास्तु शांति पूजा क्या है ?

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