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वास्तु पूजा 2023: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार Festivals

वास्तु पूजा 2023: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार

  • 29 August 202217 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

जीवन मे अपना घर बनाना हर व्यक्ति का सपना होता है और वह जीवन भर अपने सपने को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है | घर केवल रहने का स्थान ही नहीं होता है बल्कि यह वह स्थान होता है जहाँ पर एक दूसरे के बीच सामंजस्य, मांगलिक कार्य एवं संस्कार पलते है | ऐसे वह घर हमारे लिए सभी तरह से अनुकूल रहे इसके लिए गृह प्रवेश से पहले वास्तु पूजा की जाती है | वास्तु पूजा क्या होती है और यह हमारे गृह प्रवेश से पहले क्यों की जाती है यह जानना बेहद जरुरी है | आज के इस लेख में हम वास्तु पूजा सामग्री, और वास्तु पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगें |

वास्तु पूजा @smartpuja.com

वास्तु शांति पूजा क्या है ?

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दीपावली पूजा Festivals

दीपावली पूजा 2023: प्रकाश के साथ नए आरंभ की…

  • 26 August 202220 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

दीपावली हिन्दू धर्म का प्रमुख त्यौहार है और हर वर्ष इसे देश भर में बहुत ही उमंग और खुशियों के साथ मनाया जाता है | दीपावली के त्यौहार का इंतज़ार छोटों से लेकर बड़ों तक को होता है | दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है | हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है और यह माना जाता है की वह जिस पर प्रसन्न हो जाती है उसे जीवन भर धन, वैभव, सुख , सम्पदा की प्राप्ति होती है और उसके दुःखों का निवारण होता है | लेकिन लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए पुरे विधि विधान से उनकी पूजा करके उनका ध्यान किया जाता है और उनसे यह प्रार्थना की जाती है की वे आकर उनके घर में रहें और सुख संपत्ति प्रदान करें | 

आज के इस लेख में हम दीपावली पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री, दिवाली पूजा विधि के बारे में जानेंगे | यदि आप दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, बैंगलोर, पुणे, अहमदाबाद, हैदराबाद रहते है और आपके पास पूजन की व्यवस्थाओं के लिए समय की कमी है या आप पूजन पंडित द्वारा करवाना चाहते है | तो अब यकरने ह सभी सुविधा आपको एक ही जगह पर मिल जाएगी | स्मार्टपूजा के दीपावली पूजा पैकेज में दीपवाली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त निकालना, पंडित, पूजन सामग्री, की व्यवस्था की जाती है | 

दीपावली पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 

दीपावली प्रति वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है | वर्ष 2023 में दीपावली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी |  दीपावली पूजा के लिए  शाम के समय को बहुत ही शुभ माना जाता है | पंचाग के अनुसार कुछ खास मुहूर्त होते है जिसमें पूजन करने का खास लाभ होता है | पंचाग के अनुसार हम आपको कुछ खास मुहूर्त बता रहे है जिनके अनुसार आप दीपावली का पूजन कर सकते है – 

दिन के शुभ चौघड़िया 

अमृत का चौघड़िया – शाम 5:40 मिनट से लेकर 7:36 मिनट 

शुभ का चौघड़िया – 02 बजकर 46 मिनिट से  सुबह 02 बजकर 47 मिनिट तक 

चर का चौघड़िया – दोपहर 05 बाजकार 29 मिनिट से दोपहर 10 बजकर 26 मिनिट तक 

रात्रि के शुभ चौघड़िए

लाभ का चौघड़िया  – रात्रि 01 बजकर 44 मिनिट से अर्धरात्रि 03 बजकर 23 मिनिट तक 

शुभ का चौघड़िया – सुबह 07 बजकर 02 मिनिट की सुबह 08 बजकर 41 मिनिट तक | 

दिवाली पूजा किस दिशा में करनी चाहिए ? 

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आयुध पूजा Festivals

आयुध पूजा 2023: महत्वपूर्ण लाभ और उनका विवरण

  • 26 August 202217 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

नवरात्री पूजा के ही एक भाग के रूप में आयुध पूजा को मनाया जाता है | आयुध पूजा को देश भर में विभिन्न तरह के रीती रिवाजों के आधार पर मनाया जाता है | आयुध का अर्थ होता है अस्त्र शस्त्र , प्राचीन काल से ही लोगों को अपने अस्त्र शास्त्रों के लिए बड़ा ही सम्मान होता था इसलिए वह नवरात्रि या नवरात्री समाप्ति के अगले दिन दशहरे के अवसर पर आयुध पूजा को मनाते थे | यह विजय दिवस के रूप में एक प्रमुख त्यौहार है | 

आयुध पूजा @smartpuja.com

आयुध पूजा का एक अर्थ उपकरणों की पूजा भी होता है| हम सभी व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक रूप से कई तरह के उपकरणों का उपयोग करते है | इन उपकरणों के कारन ही बहुत से लोगों को रोजगार मिला हुआ है | इसलिए नवरात्री में आयुध पूजा के रूप में बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां हो या छोटे व्यवसाय वहां पर मशीनों और अन्य उपकरणों की पूजा की जाती है | 

आयुध पूजा कब है ?

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नामकरण संस्कार पूजा Festivals

नामकरण संस्कार पूजा 2023

  • 26 August 202221 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
नामकरण संस्कार पूजा @smartpuja.com

हिन्दू धर्म में 16 संस्कार बताये जाते है जिनमें से नामकरण संस्कार एक प्रमुख संस्कार है | इस संस्कार के द्वारा बच्चे का नाम रखा जाता है | नाम हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और इसका प्रभाव हमारे पुरे जीवन पर पड़ता है | नामकरण संस्कार में धार्मिक विधि विधान और मन्त्रों के उच्चारण द्वारा नवजात बच्चे का नाम रखा जाता है | नाम से व्यक्ति की पहचान होती है इसलिए नाम बहुत ही सोच समझकर और जन्म के नक्षत्रों के अनुसार रखा जाता है | 

नामकरण संस्कार की पूजा पंडित द्वारा करवाना श्रेष्ठकर रहता है | नवजात बालक कई योनियों से गुजरता हुआ जब मानव योनि में जन्म लेता है तो उस पर पिछले जन्मों की छाया बनी रहती है | अतः इस नए जन्म में उसमें सद्गुणों का संचार हो और वह एक महपुरुष बने इसके लिए नामकरण संस्कार किया जाता है | 

नामकरण संस्कार क्या है ?

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पितृ दोष पूजा Festivals

पितृ पक्ष पूजा 2023

  • 24 August 202221 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
पितृ पक्ष पूजा

हर वर्ष 16 दिन ऐसे होते है जिसमें परिवार के मृत सदस्यों की आत्मा की तृप्ति और शांति के लिए तर्पण और श्राद्धकर्म किये जाते है | इन 16  दिनों के दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है | पितृपक्ष यानि की श्राद्ध पक्ष में की गयी पूजा और तर्पण से पितृ प्रसन्न होते है और आपको आशीर्वाद प्रदान करते है जिससे आपके जीवन में खुशहाली आती है | इस बार 2023 में पितृपक्ष कब से है, पितृपक्ष की पूजन विधि क्या है, पितृपक्ष का महत्व और नियम क्या है इसके बारे में जानेंगे | यदि आप मेट्रो सिटी में रहते है और आपके पास समय की कमी है जिसकी वजह से आप पितृपक्ष के अनुष्ठान करवाने में असमर्थ है तो आप बहुत ही कम शुल्क में कैसे पितृ पक्ष की पूजा करवा सकते है यह भी जानेंगें | 

2023 में पितृपक्ष ( श्राद्ध पक्ष ) कब से है ?

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नवरात्री पूजा Festivals

नवरात्री पूजा 2023: सम्पूर्ण देवी शक्ति का आदर्श उत्सव

  • 24 August 202217 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
नवरात्री पूजा

माता के भक्तों के लिए नवरात्री का समय भक्ति, उमंग, उत्साह का होता है जिसमें 9 दिनों तक माता की पूजा करके माता के श्री चरणों में अपनी आस्था प्रकट की जाती है | नवरात्री का हिंदी में अर्थ होता है नौ रातें | इन नौ रातों को माता भगवती के 9 रूपों की 9 दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है और जीवन की मंगल कामना की जाती है | यह नवरात्री पूजा के 9 दिन बेहद खास होते है इसलिए जो भक्त विधि विधान से माँ की आराधना करता है माँ उसके सभी दुखों को हर लेती है | भारतीय कैलेण्डर के अनुसार नवरात्री वर्ष में 4 महीने चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने में आती है | इन 4 नवरात्री पूजा में से चैत्र और आश्विन नवरात्री पूजा मुख्य रूप से की जाती है | 

आश्विन नवरात्री कब से चालू है 

आश्विन नवरात्री  जिसे की शारदीय भी कहा जाता है भारतीय कलेंडर के आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर आश्विन शुक्ल नवमी तक पूजा की जाती है | इस बार आश्विन नवरात्री 15 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक है | 

नवरात्री पूजा के लिए सामग्री 

माँ दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमा या फोटो 

एक कलश 

एक मिट्टी का बर्तन ज्वार बोने के लिए 

माता के आसन के लिए चौकी, दूध, दही, घी, शहद, जल, गंगाजल, पंचामृत, उपवस्त्र, नारियल, फूल, फूलमाला, वस्त्र, चन्दन, रोली, कलावा, अक्षत, जयमाला, धुप, दीप, नेवैध्य, ऋतुफल, पान, सुपारी, पूजन पात्र  आरती, कलश, इलाइची, 

नवरात्री व घटस्थापना मुहूर्त

शारदीय नवरात्री व घटस्थापना मुहूर्त

इस बार शारदीय नवरात्री के दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त दिनाँक 14 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 24 मिनिट से अक्टूबर 16 दोपहर 12 बजकर 32 मिनिट तक रहेगा |

नवरात्री पर घटस्थापना और माता की स्थापना विधि 

  • सबसे पहले व्यक्ति सुबह उठकर नहा लें और साफ़ कपडे पहन लें | 
  • जिस स्थान पर पूजा करनी हो उस स्थान को अच्छे पानी से धोकर साफ़ कर लें | 
  • अब चौकी पर गंगाजल छिड़ककर एक साफ़ धुला हुआ कपडा बिछाकर उस पर मंडल बनाएं | 
  • चौकी पर माता की मूर्ति या मात्रा की फोटो की स्थापना करें | 
  • अब चौकी के बगल में मिटटी के बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें ज्वार बो दें | 
  • चौकी के बगल में ही एक मिट्टी, सोने, चांदी या ताम्बे  का कलश रख कर उस पर एक नारियल रख दें | नारियल को कलश पर रखने से पहले उसके चारों ओर मोली का धागा बांध दें | 

नवरात्री की पूजन विधि 

नवरात्री पर माता के पूजन के लिए कुछ खास पद्धतियां है और उनके अनुसार माता का पूजन करने पर आपको आशीर्वाद मिलता है | आइये जानते है की आपको नवरात्री का पूजन किस तरह करना है – 

  • पूजन को अग्नि देवता की साक्षी में करने का विशेष महत्व है इसलिए पूजन की शुरुआत में एक दीपक में घी भरकर दीपक प्रज्वल्लित करें | 
  • किसी भी भगवान या देवता के पूजन में सबस पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है | इसलिए सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान करते हुए उनका रोली से तिलक लगाएं और मौली अर्पित कर उनका पूजन करें | 
  • इसके बाद माता को सबसे पहले आह्वान करें | 
  • माता को शुद्ध जल से स्नान करवाएं फिर पंचामृत से स्नान करवाएं फिर एक  बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं | 
  • माता को वस्त्र अर्पित करें इसके लिए माता की फोटो या मूर्ति पर मोली चढ़ाएं | 
  • माता को तिलक लगाएं और माता को गंध अर्पित करें | 
  • माता को पुष्प अर्पित करें और माला सुगन्धित पुष्प माला पहनाएं | 
  • नैवेद्य अर्पित करें | 
  • इसके पश्चात् माता के आगे धुप और दीपक से पूजा करें | 
  • अंत में पुष्पाजंलि करें और माता को नमन करें , और पूजा में यदि कोई गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थना करें | 
  • अब परिवार जन सहित  माता की आरती गाएं | 
  • अब माता के घर में बने व्यंजनों का भोग लगाएं और सभी को प्रसाद बाँटें | 
  • 9 दिन तक इसी प्रकार पूजन करें और अंत के दिन पूजन के पश्चात् माता के भोग लगाएं और 10 साल से कम उम्र की 9 कन्याओं को भोजन करवाएं | 
  • उन कन्याओं के पैर धोएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करें |  

नवरात्री के पहले दिन की पूजा 

दिनांक – 15 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 

अधिस्ठात्री देवी – माँ शैलपुत्री 

मन्त्र – 

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम | 

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम || 

पूजन शुभ चौघड़िया मुहूर्त – 

व्रत कथा – 

माँ भगवती जिन्हें पहला स्वरूप का नाम शैलपुत्री है | हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है | नवरात्री के पहले दिन इन्ही का पूजन होता है इनका वाहन वृषभ है और इनके बाएं हाथ में पुष्प  और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए है | 

नवरात्री के दूसरे दिन की पूजा 

दिनांक – 16 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल द्वितीया 

अधिस्ठात्री – माँ ब्रह्मचारिणी 

मन्त्र – 

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू | 

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचरणयनुत्तमा || 

नवरात्री के तीसरे दिन की पूजा 

दिनांक –  17 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल तृतीया 

अधिस्ठात्री देवी – चन्द्रघण्टा 

मन्त्र – 

पिंडज प्रवरारूढा चैंकोपास्त्रकैर्युता | 

प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता || 

पूजन शुभ चौघड़िया मुहूर्त – 

चौथे दिन की पूजा 

दिनांक – 18 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल चतुर्थी 

देवी – माँ कूष्माण्डा 

मन्त्र – 

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | 

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे || 

पांचवे दिन की पूजा 

दिनांक – 19 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल पंचमी 

देवी – माँ स्कंदमाता 

मन्त्र – 

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्व्या | 

शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी || 

छठे दिन की पूजा 

दिनांक – 20 अक्टूबर 2023  

तिथि – आश्विन शुक्ल षष्ठी 

देवी – माँ कात्यायनी 

मन्त्र – 

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना | 

कात्यायनी शुभं दध्यादेवी दानवघातिनी || 

सातवें दिन की पूजा 

दिनांक – 21 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल सप्तमी 

देवी – माँ कालरात्रि 

मंत्र 

एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | 

लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || 

वामपदहोलसल्लोहलताकण्टक भूषणा | 

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी 

आठवें दिन की पूजा 

दिनांक – 22 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल सप्तमी 

देवी – माँ महागौरी 

मंत्र – 

श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः | 

महागौरी शुभं दधानमहादेवप्रमोददा || 

नवें दिन की पूजा 

दिनांक – 23 अक्टूबर 2023 

तिथि – आश्विन शुक्ल अष्टमी 

देवी – माँ सिद्धिदात्री 

मंत्र 

सिद्धगंधर्वयक्षाधैरसुरैस्मरैरपि | 

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी || 

नवरात्री पूजा की आरती 

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी | 

तुमको निशदिन ध्यावत हरी ब्रह्मा शिवरी ||  ॐ जय अम्बे गौरी० 

मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको | मैया टीको मृगमदको  

उज्जवल से दोउ नैना, निर्मल से दोउ नैना, चन्द्रवदन निको || जय आंबे गौरी ० 

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै | 

रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठं पर साजै || जय अम्बे गौरी ० 

केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी | 

सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी || जय अम्बे गौरी ० 

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती | 

कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योति || जय अम्बे गौरी ० 

शम्भू निशुंभ विदारे, महिषासुर घाती | 

धूम्र-विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती || जय अम्बे गौरी ० 

चण्ड मुण्ड संहारे शोणितबीज हरे | 

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे || जय अम्बे गौरी ० 

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमलारानी | 

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी || जय अम्बे गौरी ० 

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुँ | 

बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू || जय अम्बे गौरी ० 

तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता | 

भक्तनकी दुःख हारता सुख सम्पति करता | जय अ म्बे गौरी ० 

 भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी | 

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी || जय अम्बे गौरी ० 

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती | 

श्री मालकेतु में राजत, धौलागढ़ में विराजत कोटिरतन ज्योति || जय अम्बे गौरी ० 

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै | औ मैया प्रेम सहित गावै | 

कहत शिवानंद स्वामी, रटत भोलानंद स्वामी,मनवांछित फल पावै,

वाकें सब दुःख मिट जावे, वाकें घर लक्ष्मी आवै, सुख सम्पति पावै || 

ॐ जय अम्बे गौरी || 

 नवरात्री पूजा और व्रत का महत्व 

एक बार देवताओं के गुरु बृहस्पति ने  ब्रह्माजी के सामने हाथ जोड़कर निवेदन करते हुए बोले हे परमपिता कृपया करके बताएं की चैत्र और आश्विन मास में की जाने वाली नवरात्री पूजा का क्या महत्व है और यह पूजा क्यों की जाती है | साथ ही यह भी बताइये की सबसे पहले नवरात्री पूजा और व्रत को किसने किया था | 

बृहस्पति जी के यह वचन सुनकर ब्रह्मा जी बोले – हे देवगुरु आपने बहुत ही अच्छा प्रश्न किया है केवल आप ही नहीं मैं पुरे विश्व के कल्याण के लिए नवरात्री पूजा की व्रत कथा और इसके महत्व के बारे में आपको बताता हूँ | 

जो भी भक्त नवरात्री की पूजा और व्रत को नियम पूर्वक करता है उसे उसके घर में सुख समृद्धि का वास रहता है | घर से रोग दोष बीमारियां दूर रहती है | बाँझो को संतान प्राप्ति होती है | समस्त पापों से छुटकारा मिलता है | इस व्रत को करने के लिए जरुरी नहीं है की पुरे दिन का उपवास रखे वह एक समय भोजन करें | 9 दिन तक माता के 9 रूपों को पूजन करें और नवरात्री व्रत की कथा को सुने | अब मैं आपको यह कथा सुनाता हूँ | 

नवरात्री पूजा की व्रत कथा 

बहुत समय पहले एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था जिसका नाम पिठत था | वह माँ भगवती का अनन्य भक्त था | माता की भक्ति से उसके घर में एक बहुत ही सूंदर कन्या का जन्म हुआ | उम्र के अनुसार धीरे धीरे कन्या बढ़ने लगी | उसके पिता रोजाना माता दुर्गा की पूजा करके हवन किया करते थे | सुमति भी अपने पिता के साथ रोजाना वहां उपस्थित रहकर माता की आराधना किया करती थी | एक दिन जब पिता माता दुर्गा की पूजा कर रहे थे उस समय सुमति वहां उपस्थित नहीं हुई | जिसकी वजह से उसके पिता को उस पर बहुत क्रोध आया और वह बोले की, हे अभागिन आज तू पूजा में उपस्थित नहीं हुई मैं तेरा विवाह किसी गरीब या कोढ़ी व्यक्ति से तेरा विवाह कर दूंगा | 

तब सुमति ने दुखी होकर अपने पिता से कहा – पिताजी मैं आपकी पुत्री हूँ आप जिससे चाहे मेरा विवाह कर सकते है लेकिन होगा वही जो मेरे भाग्य में लिखा होगा | मनुष्य का कार्य केवल कर्म करना है फल देना भगवान के हाथ में है | अपनी पुत्री की ऐसी बातें सुनकर पिता को ओर भी अधिक क्रोध आया और उन्होंने सच में ही अपनी बेटी का विवाह एक कुष्ठी के साथ कर दिया | पिता अपनी बेटी सुमति से बोले तुझे भाग्य पर अति विश्वास है ना तो जा अब देख तेरे भाग्य में दुःख भोगना ही लिखा है | 

कुष्ठी पति के साथ दिन बिताते हुए सुमति को भी लगने लगा था की उसके भाग्य में शायद दुःख ही लिखे है| लेकिन पूर्व जन्मों के पुण्य फल से एक दिन माता भगवती उसके सामने प्रकट हुई और बोली पुत्री मैं तुझसे प्रसन्न हूँ मांग तुझे क्या मांगना है | ऐसे में सुमति बोली हे माता आप कौन है और मुझ पर किस कारण से प्रसन्न हुई है कृपया करके मुझे बताएं | ऐसे में माँ भगवती बोलीं की पुत्री पूर्व जन्म में तू एक भील की पत्नी थी और पतिव्रता थी | एक दिन चोरी करने के अपराध में राजा के सिपाही ने तेरे पति और तुझे बंदी बना लिया | और तुम्हें 10 दिन तक खाने के लिए कुछ नहीं दिया | संयोग से वे दिन नवरात्री के थे जिसकी वजह से ही अनजाने में ही तुमसे 10 दिन का व्रत हो गया | मैं तेरे नवरात्री के उन्हीं पुण्य फलों को देने आयी हूँ तू जो चाहे मुझसे मांग सकती हो | 

तब सुमति बड़ी प्रसन्न होकर माँ को बारम्बार प्रणाम कर बोली माँ यदि आप मुझ पर प्रसन्न है तो मेरे पति को रोगमुक्त कर दीजिए और उसे स्वस्थ कर दीजिये | ऐसे में माँ भगवती ने उसके नवरात्री के एक दिन की नवरात्री व्रत के फलस्वरूप उसके पति के कोढ़ को दूर कर कान्तियुक्त कर दिया | इसके साथ ही माता ने उसे एक अति तेजस्वी पुत्र का वरदान देकर अंतर्धान हो गयी | 

इस तरह जो भी व्यक्ति नवरात्री में माँ भगवती की पूजा और व्रत करता है माँ उसके दुःख दूर कर उसके सभी कष्टों को हर लेती है | 

नवरात्री पूजा की बुकिंग कैसे करें 

नवरात्री पूजा से जुडी सेवाओं की अधिक जानकारी के लिए हमें 080-61160400 या व्हाट्सएप @ 9036050108 पर कॉल करें ।
अगर आपके पास समय की कमी है और नवरात्री की पूजा की व्यवस्थाओं के लिए समय नहीं निकाल पा रहे है तो परेशान ना हो | अब आपकी सुविधा के लिए स्मार्टपूजा लेकर आया है वन स्टॉप समाधान | जहाँ पर आपको एक ही जगह पुरोहित, पूजा सामग्री, मुहूर्त निकलवाने की वयवस्था , पूजा मंडप सजाने की व्यवस्था उचित शुल्क पर की जाती है | अब आप एक बार बुकिंग करवाकर  निश्चितं होकर अपना काम करें और बाकी सारी व्यवस्थाओं को हम पर छोड़ दें | हम आपके लिए विशिष्ट सेवाओं के साथ दिव्य पूजा करने का अनुभव प्राप्त होने का विश्वास दिलाते है |… Read the rest

गृह प्रवेश पूजा Festivals

गृह प्रवेश पूजा 2023: नए घर में सुख और…

  • 24 August 202217 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
गृहप्रवेश पूजा 2022-2023

किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान की पूजा करना हिन्दू धर्म का एक अनिवार्य अंग है | किसी भी व्यक्ति के जीवन में नया घर बनाना उसके सपनों को पूरा करना होता है और यह एक बहुत ही  ख़ुशी का दिन होता है | ऐसे में नए घर में प्रवेश करने से पहले गृह प्रवेश पूजा करवाई जाती है | गृह प्रवेश पूजा के द्वारा हम सभी भगवान से हमारे नए जीवन की शुरुआत के लिए आशीर्वाद मांगते है साथ ही उस स्थान की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर गृह प्रवेश पूजा के द्वारा होने वाले वैदिक मन्त्रों के उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है | 

वास्तु शास्त्र में बताया गया है की हमारा घर और जमीन भी एक जीवित प्राणी है और यदि यह लम्बे समय तक खाली रहता है तो इसमें बुरी शक्तियां रहने लगती है | यह केवल नए घर के लिए ही नहीं है यदि आप किराये के घर में जा रहे है तो भी गृह प्रवेश पूजा करवाने के बाद ही उसे रहने योग्य समझना चाहिए |  

पूजा एक बहुत ही पावन काम है और इसके सही तरह से पूर्ण होने से आपके घर में शांति, समृद्धि का आगमन होता है | ऐसे में आपको गृह प्रवेश पूजा के लिए सभी व्यवस्था को सही तरह से प्रबंधन करना चाहिए | लेकिन आज के समय में बहुत से लोगों के सामने यह समस्या आती है की वह गृह प्रवेश पूजा के लिए शुभ तिथि, पंडित, पूजन सामग्री आदि की व्यवस्था कैसे करें खासकर बड़े शहरों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है जहाँ पर लोगों के पास इन व्यवस्थाओं के लिए अधिक समय नहीं होता | 

लोगों की इन्हीं समस्याओं को  समझते हुए धार्मिक स्टार्टअप स्मार्टपूजा ने  लोगों की गृह प्रवेश पूजा के लिए शुभ तिथि, पंडित, पूजन सामग्री का प्रबंधन ऑनलाइन प्रदान किया है जिसमें कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन ही इन सभी सुविधाओं को पा सकता है | स्मार्टपूजा इस समय दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बंगलौर, चेन्नई, कोलकत्ता और पुणे में गृह प्रवेश पूजा की सेवाएं प्रदान कर रहा है | अगर आप चाहते है की पूजा आपकी भाषा में हो तो इसके लिए भी हमारी टीम में भाषा के आधार पर पुरोहित की व्यवस्था की जाती है | हम उत्तर की भाषाएं – हिंदी, गुजराती, संस्कृत, मारवाड़ी और दक्षिण क्षेत्र की भाषाएं – कन्नड़, तेलगु, तमिल, मलयालम, तुलु, कोंकणी, मराठी भाषाओँ में शुभ तिथि पर वैदिक अनुष्ठान करवाते है |  

आपके गृह प्रवेश को सफल बनाने के लिए हमारे पुरोहितों द्वारा पूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है जो की वातावरण में घुलकर आपके घर के समस्त दोषों और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर वहां पर मंगलकारी जीवन ऊर्जा में प्राण भरते है जिससे यह घर आपके लिए शुभ होता है जिससे  आपका और आपके परिवार का कल्याण होता है | 

गृह प्रवेश पूजा के लिए पुरोहित के साथ ही फूल, पत्ते, हवन सामग्री हम ही भेजते है | आपको केवल फल, मिठाई, पंचामृत की व्यवस्था करनी होती है | 

यदि आप चाहते है की आपको एक ही जगह सारा समाधान मिल जाये तो आपकी गृह प्रवेश पूजा को और भी आसान बनाने के लिए हम खानपान सेवाओं, घर की सजावट, अतिथियों को देने के लिए रिटर्न उपहार और फोटोग्राफी की सुविधा भी उपलब्ध करवाते है | 

अधिक जानकारी पाने के लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर  080-61160400 पर संपर्क करें | यदि आप सामान्य पूजा की जगह ई पूजा करवाना चाहते है तो हमारी हाई क्वालिटी ऑडियो और वीडियो द्वारा ऑनलाइन ई पूजा करवा सकते है | 

गृह प्रवेश पूजा सामान्य ( उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली दोनों के लिए ) 

यदि आप गृह प्रवेश पूजा के इस नियमित अनुष्ठान को करवाना चाहते है तो पूजा के लिए 2 पुरोहितों को भेजा जायेगा | जो की आपके गृह पूजा के इस मंगलकारी अनुष्ठान को विधिवत पूरा करवाएंगे | गृहप्रवेश पूजा के इस अनुष्ठान में  द्वार महालक्ष्मी प्रवेश पूजा, गौ पूजा, रसोई पूजा – दूध उबालने का समारोह, गणपति पूजा, पुण्यवाचनम, मंडल दर्शन, कलश स्थापना, षोडशोपचार पूजा, नवग्रह पूजा, वास्तु पूजा, होम – गणपति होम, नवग्रह होम, वास्तु होम, पूर्णाहुति, महामंगल आरती, आशीर्वाद, तीर्थ प्रसाद विनयोग आदि करवाए जाएंगे | 

इस पूजा अनुष्ठान में 2 से 2:30 घंटे का समय लगेगा | 

इस अनुष्ठान में सत्यनारायण व्रतम और सुदर्शन यज्ञ को जोड़ा जा सकता है | 

पूजा व्यय में पुजारी की दक्षिणा, यात्रा व्यय, पूजा सामग्री, फूल आदि शामिल है | 

गृह प्रवेश पूजा प्रीमियम ( उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली दोनों के लिए ) 

अपने गृहप्रवेश पूजा के लिए यदि आप प्रीमियम पूजा को चुनते है तो इसमें पूजन की अवधि थोड़ी बढ़ जाती है इसमें कुछ और खास पूजाओं को शामिल किया जाता है | प्रीमियम गृह प्रवेश पूजा में 2 पुरोहित विधिवत रूप से पूजा अनुष्ठान करवाते है | इस पूजा अनुष्ठान में द्वार महालक्ष्मी प्रवेश पूजा, गौ पूजा, कन्या पूजा, लक्ष्मी पूजा, रसोई पूजा – दूध उबालने का समारोह, गणपति पूजा, पुण्यवाचनम, मंडल दर्शन, कलश स्थापना, षोडशोपचार पूजा, नवग्रह पूजा, वास्तु पूजा, होम – गणपति शामिल हैं। इसके अलावा होमा, नवग्रह होम, दिव्य वास्तु होम, लक्ष्मी-कुबेर होम और कुलदेवता होम, पूर्णाहुति, सत्यनारायण पूजा और व्रतम, महामंगल आरती, आशीर्वाद, तीर्थ प्रसाद विनयोग आदि को भी इस पूजा अनुष्ठान में शामिल किया गया है।

गृहप्रवेश पूजा दक्षिण के इस अनुष्ठान में 3 से 4 घंटे का समय लगता है | 

गृह प्रवेश पूजा – सरल ( उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली दोनों के लिए ) 

लोग गृह प्रवेश पूजा के लिए सामान्य और सरल पूजा करवाना चाहते है वह इस पूजन अनुष्ठान को चुन सकते है | यह पूजन अनुष्ठान छोटा होता है और इसमें अति महत्वपूर्ण पूजन अनुष्ठान को ही करवाया जाता है | इस सरल पूजन अनुष्ठान को करवाने के लिए 1 पुरोहित को भेजा जाता है | इस पूजन अनुष्ठान में द्वार महालक्ष्मी प्रवेश पूजा, गौ पूजा, रसोई पूजा – दूध उबालने का समारोह, गणपति पूजा, पुण्यवचनम, कलश स्थापना, नवग्रह पूजा, वास्तु पूजा, गणपति होम, पूर्णाहुति, महामंगल आरती, आशीर्वाद, तीर्थ प्रसाद विनयोग आदि को पुरे विधि विधान से करवाया जाता है | 

गृहप्रवेश पूजा के इस सरल अनुष्ठान को करवाने में 1.5 से 2.0 घंटे का समय लगता है | 

इस पूजा अनुष्ठान में सत्यनाराण व्रतम को जोड़ा जा सकता है | 

गृह प्रवेश पूजा ( 2 दिन )  – सामान्य ( उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली दोनों के लिए ) 

यह पूजन अनुष्ठान की अवधि लम्बी है और इसमें पूजन और अनुष्ठान 2 दिन तक चलते है | इस गृहप्रवेश पूजा और अनुष्ठान में स्मार्टपूजा द्वारा 2 पुरोहितों को भेजा जाता है जो की अपने शुभ वाणी से मंत्रो का उच्चारण करते हुए इस मंगलकारी अनुष्ठान को पूर्ण करवाते है जिससे आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है |  इस गृहप्रवेश पूजा के अनुष्ठान में पहले दिन शाम के समय पूजा शुरू होती है | 

पूजा अवधि – पहले दिन की पूजा में 2 से 3 घंटे का समय लगता है | 

गृह प्रवेश पूजा का पहला दिन  

 इस दिन शाम को अनुष्ठान किया जाता है जिसमें गणपति पूजा, पुण्यवाचनम, मंडल आराधना, मंडल दर्शन, कलश स्थापना, नवग्रह पूजा, वास्तु पूजा, वास्तु पूजा, रक्षोगना होम, पूर्णाहुति, महामंगल आरती, दिगबली पूजा आदि की जाती है | 

गृह प्रवेश पूजा का दूसरा दिन 

दूसरे दिन यह पूजा शुभ मुहूर्त के अनुसार शुरू की जाती है |  दूसरे दिन की पूजा में पूजा के अनुष्ठानों में गृह प्रवेश अनुष्ठान, द्वार महालक्ष्मी प्रवेश पूजा, वास्तु पूजा, लक्ष्मी पूजा, कुल देवी देवता पूजा, तुलसी पूजा, गौ पूजा, रसोई पूजा, गणपति होम, नवग्रह होम, लक्ष्मी कुबेर होम, कुलदेवता होम, पूर्णहुति, महामंगल पूजा होती है । इसके अलावा इस दिन आरती, सत्यनारायण पूजा और कथा, आशीर्वाद आदि द्वारा इस अनुष्ठान को विधिवत पूर्ण किया जाता है | 

पूजा अवधि – दूसरे दिन के गृहप्रवेश पूजा के इस अनुष्ठान में 3 से 4 घंटे का समय लगता है | 

इस गृहप्रवेश पूजा के पहले दिन के अनुष्ठान में सुदर्शन यज्ञ को जोड़ा जा सकता है | 

गृहप्रवेश पूजा (2 दिन ) – प्रीमियम ( उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली दोनों के लिए ) 

गृह प्रवेश पूजा के इस प्रीमियम अनुष्ठान में पूजा की शुरुआत पहले दिन सुदर्शन होम अनुष्ठान के साथ शुरू होती है | दूसरे दिन की पूजा में सत्यनारायण स्वामी की पूजा के लिए बालाजी की विशेष साज श्रृंगार किया जाता है |  

पहले दिन की पूजा 

पहले दिन गृह पूजा के इस अनुष्ठान में गणपति पूजा, पुण्यवाचनम, मंडल आराधना, मंडल दर्शन, कलश स्थापना, नवग्रह पूजा, वास्तु पूजा, वास्तु होम / हवन, रक्षा होम / हवन, सुदर्शन होम / हवन, पूर्णाहुति, महामंगल आरती, दिगबली पूजा को विधि और विधान के साथ सुन्दर मंत्रो के उच्चारण के साथ किया जाता है | 

इस पूजन अवधि में 3 से लेकर 3.5 घंटे का समय लगता है | 

दूसरे दिन की पूजा 

गृह प्रवेश पूजा के दूसरे दिन के अनुष्ठान में  द्वार महालक्ष्मी प्रवेश पूजा, वास्तु पूजा, लक्ष्मी पूजा, कुल देवी देवता पूजा, तुलसी पूजा, गौ पूजा, रसोई पूजा, गणपति होम, नवग्रह होम, लक्ष्मी कुबेर होम, कुलदेवता होम, पूर्णाहुति, महामंगल आरती, बालाजी अलंकार पूजा की जाती है इसके अलावा  सत्यनारायण स्वामी पूजा और कथा, आशीर्वाद को भी विधिवत सम्पूर्ण करवाया जाता है | 

पूजा अवधि – दूसरे दिन की पूजा में करीब 3 से 4 घंटे का समय लगता है | 

गृह प्रवेश भव्य पूजा ( 2 दिन ) – ( उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली दोनों के लिए ) 

गृह प्रवेश पूजा अनुष्ठान को पूर्ण भव्यता के साथ किया जाता है | इसमें भगवान के लिए बड़े बड़े मंडल बनाये जाते है और विशेष सजावट की जाती है जिसे देखने से ही मन प्रफुल्लित हो जाता है | इस 2 दिन के पूजा अनुष्ठान समारोह को करने के लिए पहले दिन के पूजन अनुष्ठान को 5 पुरोहित संपन्न करवाते है | और दूसरे दिन के पूजन कार्यक्रम को 2 से 3 घंटे में विधिवत रूप से संपन्न करवाया जाता है | 

 गृह पूजा के इस भव्य पूजन अनुष्ठान के लिए 8 टेबल और बेंच एवं 35 से 40 ईंटो की व्यवस्था आपको करनी होती है | 

नोट – ऊपर बताई गयी पूजा में आप किसी तरह का बदलाव चाहते है तो इसको आपके अनुसार अनुकूलित भी किया जा सकता है | 

भव्य गृह प्रवेश पूजा करवाने के लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर – 080-61160400 पर कॉल कर सकते है | 

गृह प्रवेश पूजा के फायदे 

  • यह घर के वातावरण को शुद्ध और सात्विक बनाता है | 
  • यह घर में से नेगेटिव ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है | 
  • इस पूजा से घर में रहने वाले परिवारजनों को स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है | 
  • इस पूजा के बाद घर में शांति बनी रहती है और परिवार के सदस्यों के बीच अच्छे सम्बन्ध बने रहते है| 
  • यह पूजा करवाने से घर में किसी तरह के संकट और परेशानी नहीं आते है | 
  • इस पूजा में नौ गृह शांति का अनुष्ठान करवाया जाता है जो की आपको दुर्भाग्य से बचाता है और आपके जीवन को मंगलकारी बनाता है | 

गृह प्रवेश पूजा मन्त्र 

गृह प्रवेश पूजा की शुरआत प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता , रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा की जाती है और मंत्रो और अनुष्ठान के द्वारा उन्हें निवास स्थान पर स्थापित किया जाता है और कामना की वे स्थान पर रहे और सभी शुभ कार्यों के लिए अपना आशीर्वाद प्रदान करें | 

पूजन विधि 

सबसे पहले भगवांन को फूल और चावल अर्पित करने के बाद मंत्रो के द्वारा उनका आह्वान किया जाता है – 

ओम गणेशाय नमः आवाहयामि 

इसके बाद भगवान गणेश को फूल चढ़ाये और चंदन लगाते हुए निम्न मंत्र का जाप करें – 

ॐ गणेशाय नमः गंधम समर्पयामि | 

ॐ गणेशायम नमः पुष्पम समर्पयामि | 

इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीपक प्रज्वलित करें और अगरबत्ती जलाएं व इस मन्त्र का उच्चारण करें – 

ॐ गणेशाय नमः दीपं दर्शयामि | 

अब भगवान गणेश को भोजन समर्पित करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें – 

ॐ गणेशाय नमहमृता महा नैवेध्यम ईवेदयामि | 

ॐ गणेशाय नमः सर्वोपाकारम समर्पयामि | 

भगवान गणेश को प्रसाद और पुष्प अर्पित करने के बाद भगवान गणेश के निम्नलिखित मंत्रो का उच्चारण करें – 

ॐ  एकदंताय नमः

ॐ कपिलाय नमः

ॐ गजकर्णकाय नमः

ॐ लम्बोराराय नमः

ॐ विकताय नमः

ॐ विघ्नराजय नमः

ॐ विनायकः नमः

ॐ धूमकेतवे नमः

ॐ गणध्याक्षय नमः

ॐ भालचंद्राय नमः

ॐ गजाननय नमः वक्रतुंदाता नमः

ॐ सुरपाकर्णाय नमः

ॐ हेरमबया नमः

ॐ स्कंदपुरवजय नमः

ॐ श्री सिद्धिविनायकाय नमः सुमुखाय नमः

गणेश पूजा के उपरांत कलश पूजा की  जाती है कलश पूजा के लिए निम्नलिखित मंत्र हैं:

Om वर्धिनी-वरुंड्यवहित देवताभ्यो नमः अवहायमि

Om वर्धिनी-वरुंड्यवहित देवताभ्यो नमः गन्धम समरपायमि

Om वर्धिनी-वरुंड्यवाहित देवताभ्यो नमः पुष्पं समरपयमि

Om वर्धिनी-वरुंड्यवाहित देवताभ्यो नमः धूपं अघ्रपयमि

Om वर्धिनी-वरुंड्यवहित देवताभ्यो नमः दीपं दरसयामि

ओम वर्धिनी-वरुंड्यवाहित देवताभ्यो नमहम्रता- महा-नैवेद्यं निवेदयमि

Om वर्धिनी-वरुंड्यवहित देवताभ्यो नमः सर्वोपाकर्म समरपयमी

गृह प्रवेश पूजा में लगने वाली पूजन सामग्री 

गृह प्रवेश पूजा के के लिए विधिवत पूजन और अनुष्ठान करने के लिए आवश्यक पूजन सामग्री का होना जरुरी है | स्मार्टपूजा द्वारा इन सभी पूजन सामग्रियों का प्रबंधन किया जाता है | गृह प्रवेश अनुष्ठान के लिए पूजन सामग्री में निम्नलिखित सामग्री होती है – अक्षत, कपूर, अगरबत्ती, धूप, हल्दी, कुमकुम, गंध, पान के पत्ते,आम के पत्ते, फूल माला, खुले फूल, पंचपात्र, कलश, कुम्भलकाई, घंटा आरती, नवग्रह धन्य, नवग्रह वस्त्र, नारियल , होम सामग्री, जलाऊ लकड़ी, समिति, नवग्रह समिति, वास्तु प्रतिमा, पूर्णाहुति कपड़ा, चावल, रंगोली पाउडर, रंग, काला तिल, बट्टा – फूला हुआ चावल, दरबा कट, दरबा घास, तुलसी के पत्ते, सूखा नारियल, गाय की मूर्ति, घी, अर्का समिति, सिक्के, नट, कपास वस्त्र, आदि | 

गृह प्रवेश पूजा से पहले क्या करें 

आपकी ग्रहप्रवेश पूजा निर्विघ्न रूप से सम्पूर्ण हो इसके लिए हम यजमान को एक चेकलिस्ट देते है जिसके अनुसार वह यह जान सकते है की उन्हें पूजा के लिए पूजा से सबंधित क्या क्या कार्य करने चाहिए | यह सूची हमारे विशेषज्ञ पंडितों ने तैयार की है जिनके द्वारा बताये गए कार्यों के आधार पर आप कार्य करते है तो आपकी पूजा निर्विघ्न रूप से संपन्न होती है औरर घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है | आइये जानते है पूजन से पहले आपको क्या करना चाहिए | 

  • गृहप्रवेश पूजा के लिए सबसे पहले जरुरत है गृहप्रवेश और पूजा के लिए एक अच्छे मुहर्त की | जिसे की आप पंडितजी से पूछ सकते है और अच्छा दिन और समय देखकर पूजन का दिन सुनिश्चित कर सकते है | 
  • पूजन से पहले अपने घर को अच्छे से साफ़ कर लें | एक शुद्ध स्थान पर ही पूजा करने से पूजा सफल हो पाती है इसलिए अपने पुरे घर की फर्श को साफ़ पानी से धो लें और झाड़ बुहार लें | 
  • पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियों की सूचि बना लें और उन्हें पूजा से पहले ही व्यवस्थित रख लें जिससे पूजन के समय सामग्री सही समय पर मिल सके और आपका अनुष्ठान सही तरह से पूर्ण हो सके | 

गृहप्रवेश पूजा के बाद क्या करें और क्या नहीं करें 

गृह प्रवेश पूजा का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है यही वजह है की जब भी आप कोई नया घर खरीदते है तो उसमें रहने जाने से पहले वहां के वातावरण को शुद्ध करने के लिए गृह प्रवेश पूजा की गृह जा करवा ली थी लेकिन उसके बाद उन्होंने लम्बे समय तक उसमें रहने नहीं गए है तो अब उन्हें पूजा करवाने जरुरत नहीं है | लेकिन यह ध्यान रखें जब भी आप वहां रहने जा रहे तभी सामान्य गृह प्रवेश पूजा करवाना जरुरी है | 

गृहप्रवेश के समय क्या करें और क्या नहीं 

गृहप्रवेश पूजा आपके सौभाग्य के लिए की जाती है इसलिए पूजा के समय आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं यह जानना बेहद जरुरी है | 

  • गृह प्रवेश पूजा के बाद गृह के स्वामी को 3 दिन तक घर में ही रहना चाहिए | 
  • इस पूजा के समय दूध उबालने और शंख बजाने जैसे रीती रिवाज किये जाते है जिनका उद्देश्य घर से बुरी आत्माओं को दूर कर घर में सुख शांति और समृद्धि लाना  होता है | 
  • गृह प्रवेश पूजा में प्लास्टिक के बजाय स्टेनलेस स्टील के बर्तनो का उपयोग करना चाहिए | 
  • पूजन में नकारात्मक भावों को दूर रखते हुए शुद्ध मन से बैठना चाहिए | 
  • पूजा के समय पंडित जी जो भी मन्त्र पढ़ रहे है उन्हें पुरे मन से सुनें और शुद्धता के साथ उच्चारण करना चाहिए | 
  • पुरे घर में आम के पत्तों से पवित्र जल का छिड़काव करें | 
  • गृहप्रवेश एक आनंद उत्सव है इसलिए इसमें अपने परिवारजनों और मित्रों को शामिल करें और इसका आनंद उठाएं | 

गृह प्रवेश पूजा के लिए बुकिंग कैसे करें 

पूजा के लिए अब आपको केवल एक फ़ोन लगाकर बुकिंग करने की है उसके बाद पूजन सामग्री, मुहूर्त निकलवाने की व्यवस्था, पंडित की व्यवस्था सभी स्मार्टपूजा द्वारा की जाती है | हमारे पास पंडित और पूजन सामग्री प्रबंधकों की बड़ी टीम है जो की बहुत ही व्यवस्थित तरीके से आपकी पूजा की व्यवस्था करती है और आपके पूजा के अनुभव को भव्य बनाती है |  सभी तरह की पूजा और अनुष्ठान के लिए आप हमारे 080-61160400 या व्हाट्सएप नंबर पर @ 9036050108 पर कॉल कर सकते है |

गृह प्रवेश पूजा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1.
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गणेश चतुर्थी पूजा Festivals

गणेश चतुर्थी पूजा

  • 24 August 202230 January 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
गणेश चतुर्थी पूजा

भगवान गणेश जी के जन्मदिन को पुरे  देश में गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है | इस दिन 1.5 से लेकर 10 दिन के लिए घर घर में गणेश जी की स्थापना की जाती है और पुरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है और अंत में हर्षोउल्लास के साथ उनका विसर्जन किया जाता है | यह उत्सव उमंग से भरपूर है और इस दिन प्रत्येक घर में परिवार सहित शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को मंत्रो द्वारा दूर्वा, सिंदूर, मोदक एवं अन्य पदार्थ अर्पित किये जाते और मंगल भविष्य की कामना की जाती है| | भगवान गणेश जिस पर प्रसन्न हो जाते है उसके सभी काम अपने आप ही बनते चले जाते है | यही वजह है की गणेश चतुर्थी पूजा को पुरे विधि विधान से करनी चाहिए | यदि आपको गणेश चतुर्थी पूजा कैसे करते है, इसकी पूजन विधि, पूजन सामग्री, के बारे में जानकारी नहीं है तो आपको इस आर्टिकल में पूरी जानकारी दी जाएगी |

 इसके साथ ही अब आप ऑनलाइन गणेश चतुर्थी पूजा पैकेज बुक कर सकते है जिसमें आपको पूजन के लिए विद्वान पंडित की सेवाएं मिलेगी | इसके अलावा अगर आप चाहते है की पूजन सामग्री, साज सज्जा सहित अन्य सभी सुविधाओं का भी प्रबंध हो जाये तो इसके लिए भी हमारे धार्मिक स्टार्टअप स्मार्टपूजा में आपको सभी सविधाएँ सामान्य शुल्क में प्रदान की जाती है |    

गणेश चतुर्थी पुजा कब है 2022 में 

वर्ष 2022 में गणेश चतुर्थी पूजा 31 अगस्त को की जायगी | गणेश चतुर्थी पूजा प्रति वर्ष भारतीय पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है | उत्तर हो या दक्षिण सभी जगह भगवान गणेश के जन्मोत्सव को एक ही दिन मनाया जाता है | 

गणेश चतुर्थी पूजा क्यों मनाई  जाती है ?

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Book Bihari Pandits In Hyderabad Festivals

Book Bihari Pandits In Hyderabad For All Pujas/Ceremonies

  • 22 August 202227 February 2023
  • by Nishchay Chaturvedi
bihari pandit in Hyderabad @smartpuja.com

The North Eastern State of Bihar had the most advanced university in History. It manifests the rich traditions and cultures in every festivities. All Biharis are deeply rooted in their tradition and have intriguing fables attached to each occasion. Festivities are marked with pujas and rituals. If you are looking for experienced Bihari Pandits in Hyderabad, we can assist you to book Bihari pandit for completing pujas and rituals.… Read the rest

Book Marwadi Pandit In Kolkata Festivals

Book Experienced Marwadi Pandits In Kolkata With SmartPuja

  • 22 August 202228 September 2023
  • by Nishchay Chaturvedi

Kolkata has a massive population with a social foundation. Moreover, it is home to different religions in the country. It is estimated that more than ten percent of the crowd is Marwadi, who believes in sticking with their customs, religion & traditions. Thus, maintaining their Vedic rituals is extremely important to them no matter where they are.… Read the rest

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