रिंग सेरेमनी पूजा विधि: मंत्र, सामग्री और महत्व | Ring Ceremony Guide
रिंग सेरेमनी (सगाई) पूजा विधि, सामग्री और महत्व | Ring Ceremony Guide in Hindi
हिंदू धर्म में विवाह समारोह को एक भव्य उत्सव की तरह मनाया जाता है। भारतीय पद्धति से विवाह का कार्यक्रम कई दिनों तक चलता है जिसमें रोका, गोद भराई, सगाई समारोह (Ring Ceremony), हल्दी रस्म, पाणिग्रहण संस्कार और विदाई शामिल हैं।
ये सभी संस्कार वर-वधू को ईश्वरीय आशीर्वाद प्रदान करने के लिए किए जाते हैं। आज के इस लेख “Ring Ceremony Guide” में हम सगाई समारोह की पारंपरिक विधि, पूजा सामग्री और इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
रिंग सेरेमनी क्या है? (What is Ring Ceremony)
भारतीय संस्कृति में विवाह से पूर्व सगाई समारोह (Engagement) किया जाता है। इसे अलग-अलग स्थानों पर तिलक, रोका, या वाग्दान के नाम से जाना जाता है।
- वधू पक्ष द्वारा: कन्या का परिवार वर (दूल्हे) को तिलक लगाकर शगुन देता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वर का रिश्ता पक्का हो गया है।
- वर पक्ष द्वारा: वर की बहन या बुआ वधू (दुल्हन) को चुनरी ओढ़ाकर और तिलक लगाकर रोका संपन्न करती हैं।
आजकल पश्चिमी प्रभाव के कारण इस रस्म में वर और वधू एक-दूसरे को अंगूठी (Ring) पहनाते हैं, इसीलिए इसे रिंग सेरेमनी कहा जाता है।
रिंग सेरेमनी पूजा का महत्व
सगाई केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश पूजा से होती है। इस दिन भगवान गणेश और कुलदेवता से प्रार्थना की जाती है कि वर-वधू का आगामी वैवाहिक जीवन सुखमय, समृद्ध और बाधा-रहित हो।
रिंग सेरेमनी पूजन सामग्री लिस्ट
एक सफल पूजा के लिए सही सामग्री का होना आवश्यक है। यहाँ पूर्ण सूची दी गई है:
| पूजा सामग्री | सजावट और अन्य |
| रोली, चावल (अक्षत), हल्दी, सिंदूर, चंदन | पान के पत्ते, आम के पत्ते, तुलसी |
| मौली (कलावा), जनेऊ, सुपारी, लौंग, इलायची | फूलों की माला (गुलाब/गेंदा), खुले फूल |
| देशी घी, धूप, अगरबत्ती, कपूर, रुई बत्ती | मिठाई, फल (5 प्रकार), मेवे |
| कलश (मिट्टी/तांबा), नारियल (पानी वाला) | लाल/पीला वस्त्र, चुनरी |
| हवन सामग्री (यदि हवन हो रहा हो) | थाली, लोटा, चम्मच, आसन |
सगाई (Ring Ceremony) पूजा विधि
- आसन ग्रहण: सबसे पहले एक चौकी पर सुंदर वस्त्र बिछाएं। वर को पूर्व दिशा (East) की ओर मुख करके बिठाएं।
- पवित्रीकरण: पंडित जी मंत्रोच्चार के साथ वर और सभी उपस्थित लोगों पर जल छिड़क कर शुद्धिकरण करते हैं।
- गणेश-गौरी पूजन: सबसे पहले भगवान गणेश और माता गौरी का आह्वान और पूजन किया जाता है।
- कलश स्थापना: मंगल प्रतीक के रूप में कलश की स्थापना की जाती है।
- तिलक रस्म: कन्या के पिता या भाई वर के माथे पर तिलक लगाते हैं और अक्षत (चावल) लगाते हैं। उन्हें नारियल और शगुन भेंट करते हैं।
- संकल्प: कन्यादाता (पिता) हाथ में जल और पुष्प लेकर संकल्प मंत्र बोलते हैं और वर को स्वीकार करते हैं।
- वधू का रोका: वर पक्ष की महिलाएं वधू को चुनरी ओढ़ाती हैं, तिलक करती हैं और गोद में मिठाई/फल (गोद भराई) देती हैं।
- अंगूठी पहनाना (Ring Exchange): शुभ मुहूर्त में वर और वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।
- आशीर्वाद: अंत में, बड़ों का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया जाता है।
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सगाई समारोह विवाह का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। इसे विधि-विधान से संपन्न करने के लिए एक अनुभवी वैदिक पंडित की आवश्यकता होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
सगाई में मुख्य रूप से भगवान गणेश, गौरी और कलश पूजन किया जाता है। यह नव-दंपति के सुखमय भविष्य के लिए अनिवार्य है।
सगाई के लिए वर और वधू की राशि और नक्षत्र के आधार पर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। SmartPuja के ज्योतिषी इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
हाँ, क्योंकि यह केवल एक सामाजिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक धार्मिक संस्कार (वाग्दान) है। वैदिक मंत्रों के उच्चारण से वातावरण शुद्ध और सकारात्मक बनता है।










